नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित बीमा कंपनी एलआईसी आईपीओ लाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि यह देश का अब तक का सबसे बड़ा इश्यू होगा। ऐसे में सरकार एलआईसी में विदेश निवेश की सीमा 20 प्रतिशत तय कर सकती है। सरकारी बैंकों में भी विदेशी निवेश की सीमा इतनी ही है। एलआईसी एक्ट के मुताबिक, विदेशी निवेश का कोई जिक्र नहीं है और यह भी कहा गया है कि सरकार के अलावा कोई भी इस बीमा कंपनी में 5 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं ले सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार एलआईसी में 20 फीसदी विदेशी निवेश की सीमा रखना चाहती है। जबकि प्राइवेट सेक्टर की बीमा कंपनियों और प्राइवेट बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा 74 फीसदी है। हालांकि सरकारी बैंकों में विदेश निवेश की सीमा 20 फीसदी ही है। फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट (एफपीआई) रेगुलेशन और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत लिस्टेड कंपनियों में 24 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत है। बशर्ते कि उस सेक्टर की अपनी कोई सीमा ना हो। खबर के मुताबिक, अधिकारी ने बताया, ये कुछ ऐसे मामले हैं जिन पर योजना बनाकर काम किया जा रहा है। इसके लिए एलआईसी एक्ट में किसी संशोधन की जरूरत नहीं है। एलआईसी में विदेशी निवेश की सीमा डीपीआईआईटी तय कर सकता है। लेकिन इंडिपेंडेंट फॉरेन इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट के मुताबिक, इसके लिए संसद की मंजूरी लेनी होगी। एक्सपर्ट ने बताया, एलआईसी एक्ट के मुताबिक, कंपनी में सरकार के अलावा कोई भी 5 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकता है। इसका मतलब है कि एफपीआई की हिस्सेदारी भी इसमें 5 फीसदी से कम रह सकती है। अगर इस सीमा में कोई बदलाव किया जाता है तो उसके लिए एलआईसी एक्ट में बदलाव करना होगा।