वॉशिंगटन । अभी तक अनुमान लगाया जा रहा था कि धरती का इनर कोर ‘ठोस’ है जिसके बाहर तरल मौजूद है। लेकिन एक नई रिसर्च के मुताबिक यह पूरी तरह ठोस नहीं है। इसमें बताया गया है कि धरती का केंद्र बिंदु कई जगहों पर ठोस जबकि कुछ जगहों पर नरम है। इस गोले के कुछ हिस्सों पर तरल मौजूद है जिसका मतलब है कि यह पूरी तरह ठोस नहीं है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की जेसिका इरविंग के अनुसार धरती के केंद्र को लेकर लगातार नए खुलासे हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह ठोस गोला नहीं है बल्कि एक ‘नई दुनिया’ हो सकता है।जूल्स वर्ने ने 1864 में बताया था कि धरती का केंद्र खोखला है। वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को 1950 में खारिज कर दिया था और बताया था कि पृथ्वी के इनर कोर में अत्यधिक गर्मी और दबाव के कारण यहां पहुंचना संभव नहीं है। हालिया रिसर्च हवाई इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स एंड प्लैनेटोलॉजी के भू-भौतिक विज्ञानी रेट बटलर और उनकी टीम ने की है। इसके लिए उन्होंने भूकंपों से उठने वाली भूगर्भीय तरंगों की जांच की। उन्होंने देखा कि इनमें से कुछ तरंगे धरती के इनर कोर से टकराकर लौट आईं जबकि कुछ उसे आरपार कर गईं। जिससे साफ होता है कि पृथ्वी का केंद्र पूरी तरह से सख्त नहीं है बल्कि कुछ स्थानों पर इसमें तरल भी मौजूद है। इन परिणामों ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया। कई बार जांच करने पर भी उन्हें एक जैसे रिजल्ट ही मिले।

खबरों में दावा किया जा रहा है कि यहां एक अलग तरह की दुनिया मौजूदा हो सकती है। बता दें ‎कि अक्सर लोगों को यह जानने की जिज्ञासा होती है कि हमारी धरती का केंद्र बिंदु यानी इनर कोर कैसा है? कई लोग सवाल करते हैं कि क्या धरती के नीचे एक सीमा के बाद ‘पाताल’ जैसा कुछ मौजूद है? अब इन सवालों के जवाब काफी हद तक मिल गए हैं।