आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : सीनियर तेलुगु एक्टर चंद्र मोहन का हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया है। आज सुबह 9:45 बजे हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। रिपोर्ट्स का दावा है कि वो पिछले कुछ समय से दिल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे।

82 साल के चंद्र मोहन अपनी पत्नी जलंधरा और 2 बेटियों के साथ रहते थे। उनकी अंतिम विदाई और अंतिम संस्कार दिवाली के बाद सोमवार को हैदराबाद में उनके निवास स्थान से होना तय हुआ है।

जूनियर NTR और साई धर्म तेज ने जताया शोक

इस क्षति से पूरी तेलुगु इंडस्ट्री में शोक की लहर है। चंद्र मोहन के निधन पर जूनियर NTR ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडर पर पोस्ट शेयर कर लिखा है- कई दशकों तक फिल्मों में अलग-अलग भूमिकाएं निभाकर अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले चंद्रमोहन गारू की अचानक मौत से बहुत दुख हुआ। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं और उनकी आत्मा को शांति मिले।

एक्टर साई धर्म तेज ने भी उनकी मौत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है- उनका चेहरा हमें पुरानी यादों में ले जाता है। अपने यादगार एक्टिंग और किरदार से वो हर बार हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। आपकी आत्मा को शांति मिले चंद्र मोहन सर। ओम शांति।

कौन हैं चंद्र मोहन ?

चंद्र मोहन का जन्म 23 मई 1943 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पमिदिमुक्कला गांव में हुआ था। उनका असली नाम मल्लमपल्ली चंद्रशेखर राव था। वो डायरेक्टर और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड विनर के.विश्वनाथ के चचेरे भाई भी थे, जिनका इस साल फरवरी में निधन हो गया। वो फेमस प्लेबैक सिंगर दिवंगत एसपी बालासुब्रमण्यम के करीबी लोगों में से एक थे।

57 साल के करियर में 932 फिल्मों में काम किया

1966 में उन्होंने फिल्म रंगुला रत्नम ने तेलुगु सिनेमा में डेब्यू किया था। 57 साल के इस करियर में उन्होंने 932 फिल्मों में काम किया था। सीतामलक्ष्मी (1978), राम रॉबर्ट रहीम (1980), राधा कल्याणम (1981), रेंडु रेलु आरु (1986), और चंदामामा रावे (1987) जैसी फिल्मों में उन्होंने लीड रोल प्ले किया था।

1966 की रंगुला रत्नम बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी। फिल्म क्रिटिक्स ने उनके काम की बहुत सराहना की थी। तेलुगु के अलावा उन्होंने तमिल फिल्म नालाई नामधे (1975) में भी काम किया था।

2 बार नंदी अवाॅर्ड से सम्मानित किए गए

उन्हें 2 बार फिल्म चंदामामा रावे (1987) और अथानोक्काडे (2005) के लिए नंदी अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें पदहारेला वायासु (1978) के लिए फिल्मफेयर साउथ अवाॅर्ड मिला था।