सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: 48 वर्षीय एक गैस पीड़ित महिला की धड़कन अचानक तेज हो जाती थी और कुछ समय बाद सामान्य हो जाती थी।
हार्टबीट तेज हो जाने से वह बहुत अधिक घबरा जाती थीं। इस महिला का भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में रेडियो फ्रिक्वेंसी एब्लेशन के जरिए इलाज पूरा हो गया है। महिला अब पूरी तरह ठीक हैं और उनकी यह समस्या अब पूरी तरह खत्म हो गई है।
बीएमएचआरसी के कार्डियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ आशीष शंखधर ने बताया कि हार्ट में इलेक्टिक एक्टिविटी होती हैं, जो हार्टबीट की रफ्तार को नियंत्रित करती है। सामान्य तौर पर ये इलेक्टिक सिग्नल एक तय रास्ते के अनुसार चलते हैं, लेकिन कुछ टिशुज़ की वजह से हार्ट के उपरी चैंबरों और निचले चैंबरों के बीच एक अतिरिक्त इलेक्टिकल कनेक्शन बन जाता है। इसी वजह से हार्टबीट तेज हो जाती है।
इसे एवीआरटी (Atrioventricular Reentrant Tachycardia) या एएनवीआरटी (Atrioventricular nodal reentrant tachycardia) कहा जाता है। डॉ शंखधर ने बताया कि काफी मरीज कार्डियोलॉजिस्ट के पास इस तरह की समस्या लेकर आते हैं। डॉक्टर उन्हें दवाएं देते हैं।
इससे उन्हें आराम तो लग जाता है, लेकिन समस्या पूरी तरह खत्म नहीं होती। दवा बंद कर देने से दिक्क्त फिर शुरू हो जाती है। इसके लिए रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन की आवश्यकता होती है। दवाओं की तुलना में यह मिनमिली इनवेसिव ज्यादा कारगर है। इस केस में भी ईसीजी रिपोर्ट के जरिए हमें पता चला कि मरीज की हार्टबीट असामान्य रूप से तेज चल रही है। ऐसे में हमने आरएफए तकनीक से उसका इलाज किया।
बीएमएचआरसी के कार्डियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ अमन चतुर्वेदी ने बताया कि काफी लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं। प्रति 1000 में से 3—4 लोगों में तेज हार्टबीट होने की समस्या देखी जाती है। आमतौर पर यह बीमारी अनुवांशिक होती है, लेकिन कई बार अन्य कारणों से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने बताया कि अब तक दो मरीजों का इस तकनीक से इलाज हो गया है और दोनों ही इस बीमारी से उबर चुके हैं ।
एवीआरटी और एएनवीआरटी की समस्या काफी लोगों में देखी जाती है। बहुत कम अस्पतालों में रेडियो फ्रिक्वेंसी एब्लेशन के जरिए इसका इलाज होता है। खुशी की बात है कि बीएमएचआरसी मरीजों को यह सुविधा दे पा रहा है।