दुर्ग । किसी भी राष्ट्र के निर्माण मे शिक्षक की भूमिका सर्वोपरि होती है, आज जबकि समूचा विश्व करोना महामारी से जूझ रहा है, कतिपय प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान शिक्षकों के आर्थिक व मानसिक शोषण से बाज नहीँ आ रहे हैं। ऐसे समय में शिक्षकों की अवाज टीचर्स एसोसिएशन ऑफ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ बना है।

ज्ञातव्य है कि यह प्राइवेट शिक्षकों का संगठन है जो कि मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ मे कार्यरत है। यह शिक्षकों के हितों की रक्षा हेतु निरंतर कार्यरत है। इसी तारतम्य में रविवार 8 अगस्त को   संगठन द्वारा एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षकों के मौलिक अधिकार व उनके सेवा शर्तों के बारे मे जानकारी प्रदान करना था। यह मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ इकाई के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। इसमें पूरे देश भर से सैकड़ों  शिक्षकों ने भाग लिया। इसमे ऑल इंडिया प्राइवेट कॉलेज एंप्लॉयी यूनियन के फाउंडर के. एम.कार्तिक ने शिक्षकों के वेतनमान और सेवा शर्तों के बारे में जानकारी दी।

पुणे महाराष्ट्र के सिंहगड़ समन्यव समिति के अध्यक्ष एवं  प्रोफेसर  सचिन एन शिन्दे द्वारा शिक्षकों को उनके अधिकारों के बारे मे विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी। प्रोफेसर शिन्दे ने बताया कि कर्मचारियों को कभी रिजाइन नही करना चाहिए और मैनेजमेंट यदि टर्मिनेट करता है तो विश्वविधालय, डीटीई और एआईसीटीई को शिकायत दर्ज करें और समाधान न मिलने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय के लिए लड़ें। वेबीनार में शिक्षकों को पीएफ और ग्रेड्यूटी के अलावा अन्य सेवा शर्तों के बारे में भी प्रकाश डाला गया।

छत्तीसगढ़ संगठन के अध्यक्ष बी.एल महाराणा  ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम संगठित व अपने अधिकारों के प्रति सजग रहकर ही शोषण से बच सकते हैं। मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष  सतीश वराठे ने वेबिनार के पश्चात सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई किसी शैक्षणिक संस्थान से नही है लेकिन यदि हमारे कर्मचारियों को प्रताडि़त किया गया तो हम अपनी आवाज बुलंद करेंगे और अपने हक के लिए लड़ेंगे।