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अमृत कलश- अन्तस की प्रतिध्वनि ही भविष्य है : आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री

मनुष्य का जीवन केवल उसकी इच्छाओं या कल्पनाओं पर आधारित नहीं होता, बल्कि उसकी प्रवृत्तियाँ, संस्कार और कर्म मिलकर उसके