सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: आज यानी सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पराली जलाने के मामले की सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को डाटा उपलब्ध ना करवाने पर लताड़ा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों में प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और मनमोहन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में है, सभी को लगता है कि सिर्फ दिल्ली की परवाह है। इसलिए दायरे को बढ़ाने की जरूरत है।

कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार साधारण डेटा उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं। कोर्ट अब आदेश पारित कर रही है। 11/11 के ठोस कचरा प्रबंधन से संबंधित आदेश को देखें। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बावजूद, अब तक मांगी गई जानकारी के संदर्भ में कुछ भी नहीं किया गया है। इस मुद्दे पर 19/12 को सुनवाई होगी और हम मुख्य सचिव से अनुरोध करते हैं कि वह इस कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों। यह दिल्ली सरकार की पूर्ण लापरवाही को दर्शाता है।

यदि 18/12 तक मुख्य सचिव द्वारा हमारे 11/11 के आदेश के अनुपालन में हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है, तो इस कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना अधिनियम (Contempt of Courts Act) के तहत कार्रवाई की जाएगी।

पिछले महीने हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से तीन सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रूपरेखा समेत बेहतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को इसरो से प्राप्त कथित गलत आंकड़ों के संबंध में उचित प्राधिकारी के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का निर्देश दिया था।

पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के संबंध में कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामों की जांच की थी। जिसमें खेतों में आग लगाने की अधिक घटनाओं का संकेत दिया गया था। कोर्ट ने दोनों राज्यों द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) अधिनियम की धारा 14 के तहत दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अनिच्छा पर असंतोष दोहराया था।

राज्यों को अपनी निष्क्रियता स्पष्टीकरण देना चाहिए

कोर्ट ने कहा था- आज भी हम सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कार्रवाई करने में दोनों सरकारों की ओर से अनिच्छा देख रहे हैं। आयोग की ओर से पेश हुए विद्वान एएसजी ने कहा कि राज्यों में जिला मजिस्ट्रेटों को धारा 14 की उपधारा (2) के तहत मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है।

हालांकि, पिछले आदेशों में हमने देखा है कि मुकदमा चलाने के बजाय, राज्य अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने में व्यस्त हैं। हम 3 साल पहले पारित आयोग के आदेश के खुलेआम उल्लंघन की बात कर रहे हैं। राज्यों को अपनी निष्क्रियता के लिए अदालत को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

19 दिसंबर को होगी सुनवाई

कोर्ट ने इस मामले में अब 19 दिसंबर को सुनवाई करने की बात कही है। वहीं, पिछले महीने हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से तीन सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रूपरेखा समेत बेहतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को इसरो से प्राप्त कथित गलत आंकड़ों के संबंध में उचित प्राधिकारी के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का निर्देश दिया था।

पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के संबंध में कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामों की जांच की थी। जिसमें खेतों में आग लगाने की अधिक घटनाओं का संकेत दिया गया था। कोर्ट ने दोनों राज्यों द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) अधिनियम की धारा 14 के तहत दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अनिच्छा पर असंतोष दोहराया था।

राज्यों को अपनी निष्क्रियता स्पष्टीकरण देना चाहिए

कोर्ट ने कहा था- आज भी हम सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कार्रवाई करने में दोनों सरकारों की ओर से अनिच्छा देख रहे हैं। आयोग की ओर से पेश हुए विद्वान एएसजी ने कहा कि राज्यों में जिला मजिस्ट्रेटों को धारा 14 की उपधारा (2) के तहत मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है।

हालांकि, पिछले आदेशों में हमने देखा है कि मुकदमा चलाने के बजाय, राज्य अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने में व्यस्त हैं। हम 3 साल पहले पारित आयोग के आदेश के खुलेआम उल्लंघन की बात कर रहे हैं। राज्यों को अपनी निष्क्रियता के लिए अदालत को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया था इनकार

11 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पराली जलाने से संबंधित एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने यह तर्क दिया कि इसी मुद्दे पर एक मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। हाईकोर्ट ने दो अदालतों के बीच परस्पर विरोधाभासी विचारों से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा, “दो अदालतों के बीच मतभेद हो सकते हैं, जिसे टाला जाना चाहिए।” इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अभी विचार चल रहा है।

पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना किया गया

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी। अब 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। दो से पांच एकड़ जमीन वालों से 10,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपये का जुर्माना वसूला जा रहा है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारें इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी।

70 फीसदी कम पराली जलाई गई

पंजाब सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप इस साल पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई। 2023 में 36,551 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2024 तक घटकर केवल 10,479 रह गईं, जो पिछले साल की तुलना में 70 फीसदी कम है।

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