सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : ओडिशा के राउरकेला से निकलकर अब सुनील जोजो भारतीय सीनियर पुरुष हॉकी टीम के नेशनल कोचिंग कैंप में अपनी जगह बना चुके हैं। 22 वर्षीय डिफेंडर पहले दो बार जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और हाल ही में सुल्तान ऑफ जोहर कप में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रहे।

सीनियर कैंप में पहली बार शामिल होने का अनुभव साझा करते हुए सुनील ने हॉकी इंडिया के हवाले से कहा, “यह आसान नहीं है। यहां की फिजिकल डिमांड और खेल की गति काफी ज्यादा है। आपको तेजी से ढलना पड़ता है। स्किल लेवल भी अलग है, इसलिए कड़ी मेहनत करनी होती है। अब जब मैं यहां हूं, तो उसी हिसाब से खुद को ढाल रहा हूं।”

अपनी ताकत और सुधार की जरूरतों पर फोकस

सुनील ने अपनी मजबूतियों में ‘गेम अवेयरनेस’ और ‘टैकलिंग’ को गिनाया, लेकिन साथ ही अपनी फिटनेस पर और काम करने की बात भी स्वीकारी। उन्होंने कहा, “मेरे खेल की सबसे बड़ी ताकत अवेयरनेस और टैकलिंग है, लेकिन मुझे अपने स्टेमिना और एंड्योरेंस पर काफी मेहनत करनी है।”

सुनील ने हमेशा मनप्रीत सिंह को अपना आदर्श माना है और अब उनके साथ कैंप में ट्रेनिंग करना उनके लिए एक बड़ा मौका है। उन्होंने कहा, “अब मैं उनके साथ ज्यादा वक्त बिता रहा हूं। वो अलग-अलग रोल और पोजीशन में खेलते हैं, तो मैं यह सीखने की कोशिश करता हूं कि वो अलग परिस्थितियों में कैसे खुद को ढालते हैं।”

मेडल जीतने का सपना

भविष्य को लेकर सुनील पूरी तरह स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा, “मैं भारतीय टीम का नियमित हिस्सा बनना चाहता हूं और हर टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं। मेरा सपना है कि मैं भारत के लिए मेडल जीतूं।”

हीरो हॉकी इंडिया लीग में भी दिखा जोश

हीरो हॉकी इंडिया लीग में यूपी रुद्रास टीम द्वारा चुने जाने के बाद भले ही सुनील को ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन उन्होंने अनुभव को कीमती बताया। उन्होंने कहा, “मैंने बहुत कुछ सीखा, खासकर ड्रेसिंग रूम और ट्रेनिंग के दौरान। आगे उस अनुभव का फायदा उठाना चाहता हूं।”

मानसिक फोकस को मानते हैं सफलता की कुंजी

सुनील के मुताबिक, “दुनिया के टॉप खिलाड़ियों के पास जो चीज सबसे खास होती है, वो है मानसिक फोकस। अगर आपके पास वो है, तो आप अपने हर लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।”

परिवार को मिला सहारा, रेलवे की नौकरी से मिली स्थिरता

ओडिशा की हॉकी परंपरा से निकले सुनील अब साउथ ईस्टर्न रेलवे में नौकरी कर रहे हैं और इससे उन्हें अपने परिवार की मदद करने का संतोष है। उन्होंने कहा,”बचपन में परिवार ने मुझे बहुत सपोर्ट किया, अब मैं उनके बोझ को थोड़ा हल्का कर पा रहा हूं। ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है।”

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