भोपाल प्रशासन ने शहर में भीख मांगने और देने दोनों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने घोषणा की है कि इस संबंध में आदेश जारी किए जा रहे हैं, जिसके तहत भीख मांगने और देने वालों पर एफआईआर दर्ज होगी। इसके अतिरिक्त, रैन बसेरा में एक भिक्षु गृह भी बनाया जाएगा, जहां भिक्षुकों को आश्रय और आवश्यक सुविधाएं दी जाएंगी। यह फैसला सवाल खड़े करता है कि क्या भिक्षावृत्ति को अपराध मानना सही है, या फिर इसके मूल कारणों को संबोधित करना अधिक आवश्यक है?
भिक्षावृत्ति: समस्या का मूल कारण
भारत में भिक्षावृत्ति केवल आर्थिक तंगी का परिणाम नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था की विफलता का भी प्रतीक है। गरीब, विकलांग, वृद्ध, और अनाथ बच्चे सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर होते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
1. आर्थिक असमानता – गरीब और अमीर के बीच बढ़ती खाई।
2. शिक्षा और कौशल की कमी – रोज़गार के अवसरों का अभाव।
3. सामाजिक बहिष्कार – विशेषकर विकलांगों और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए।
4. अवैध माफियाओं का नियंत्रण – कई बार भिखारी गिरोह सक्रिय होते हैं, जो ज़बरदस्ती लोगों से भीख मंगवाते हैं।
यदि सरकार इस समस्या को सुलझाना चाहती है, तो उसे इसके मूल कारणों को दूर करना होगा, न कि सिर्फ अपराधीकरण की नीति अपनानी होगी।—
भोपाल प्रशासन का कदम: अपराधीकरण या पुनर्वास?
इस पहल के दो पहलू हैं:
1. नकारात्मक पहलू:
यदि बिना ठोस पुनर्वास योजना के यह कानून लागू होता है, तो यह गरीबों और जरूरतमंदों के खिलाफ कठोर कार्रवाई मानी जाएगी।
एफआईआर दर्ज करना उन लोगों को और अधिक संकट में डाल सकता है जो पहले से ही जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।
भीख देने वालों पर भी कार्रवाई का प्रावधान है, जो नैतिकता और मानवीय मूल्यों के विरुद्ध लगता है।
2. सकारात्मक पहलू:
प्रशासन यदि भिक्षु गृह को सही ढंग से संचालित करे, तो यह बेघर और असहाय लोगों को बेहतर जीवन दे सकता है।
इस कदम से संगठित भिखारी माफिया और बच्चों को जबरन भीख मंगवाने वाले गिरोहों पर लगाम लग सकती है।
शहर की छवि साफ-सुथरी होगी, जिससे पर्यटन और व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
वैश्विक उदाहरण और भारत में संभावित समाधान
1. स्कैंडिनेवियन मॉडल (नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क)
इन देशों में सरकार शरणार्थी केंद्रों और आश्रय गृहों के माध्यम से बेघरों की मदद करती है। उन्हें कौशल विकास और रोजगार प्रशिक्षण दिया जाता है।
2. जापान मॉडल
यहां सामुदायिक सेवा और पुनर्वास केंद्रों के ज़रिए भिक्षावृत्ति को लगभग समाप्त कर दिया गया है।
3. भारत में संभावित समाधान:
कौशल विकास कार्यक्रम – भिखारियों को छोटे-मोटे काम सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए।
निःशुल्क पुनर्वास केंद्र – सरकार आश्रय गृह बनाकर उन्हें सामाजिक सुरक्षा दे।
मजबूरी और गिरोह से जुड़ी भिक्षावृत्ति को अलग करना – स्वेच्छा से भीख मांगने वाले और जबरन भीख मंगवाए जाने वालों में अंतर किया जाए।
निष्कर्ष
भोपाल प्रशासन का कदम निश्चित रूप से साहसिक है, लेकिन यह तभी सफल होगा जब अपराधीकरण की जगह पुनर्वास को प्राथमिकता दी जाए। भीख मांगने और देने पर सीधी एफआईआर दर्ज करने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि इसके पीछे के सामाजिक और आर्थिक कारणों को समझकर ठोस नीतियां बनानी होंगी। यदि यह कदम सही दिशा में बढ़ता है, तो यह भारत के अन्य शहरों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है। लेकिन यदि यह सिर्फ एक कानूनी कार्रवाई बनकर रह गया, तो यह गरीबों के लिए एक और संकट पैदा करेगा।
समस्या को सुलझाने के लिए सजा से अधिक सहानुभूति की आवश्यकता है।
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