22 मई 2025 को मालदीव के विदेश मंत्री मोहम्मद असील की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात में उन्होंने न केवल समुद्री सहयोग, बल्कि क्षेत्रीय स्थायित्व और चीन की उपस्थिति के संदर्भ में रणनीतिक संवाद को भी प्राथमिकता दी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, असील ने प्रधानमंत्री मोदी को मालदीव की नई सरकार के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित किया, जिसे भारत ने सकारात्मक संकेत के रूप में लिया है।

ट्विटर और रेडिट जैसे मंचों पर #IndiaMaldivesTies और #StrategicNeighbourhood ट्रेंड कर रहे हैं। लोगों ने इस दौरे को ‘टर्नअराउंड मोमेंट’ कहा है, विशेषकर बीते महीनों में दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्ख़ी के बाद।

भारत-मालदीव संबंध कभी आस्था, कभी व्यापार और अब सुरक्षा-नीति के धरातल पर लगातार विकसित हो रहे हैं। यह यात्रा संकेत देती है कि दक्षिण एशिया में भारत की भूमिका केवल एक बड़े भाई की नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और सामरिक भागीदार की है। खासकर जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन अपनी गतिविधियाँ बढ़ा रहा है, ऐसे में भारत-मालदीव सहयोग दोनों के लिए सामरिक संतुलन बनाए रखने का साधन बन सकता है।

भारत को इस मौके को केवल कूटनीतिक शिष्टाचार तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, तकनीकी सहायता और जलवायु परिवर्तन जैसे साझा क्षेत्रों में स्थायी भागीदारी की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। ऐसा करके भारत अपनी ‘पड़ोस पहले’ नीति को केवल वक्तव्य नहीं, व्यावहारिक धरातल पर उतार सकता है।

अंततः यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि परिपक्व राजनय में संवाद और सहयोग किसी भी ठहराव को हराकर संबंधों को नई दिशा दे सकते हैं। यही भारत की असली सामरिक पूंजी है।