सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: श्रीलंका के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के गठबंधन NPP की जीत हुई है। सभी सीटों के नतीजों सामने आ चुके हैं। NPP ने जिलों के आधार पर तय होने वाली 196 सीटों में से 141 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। नतीजों के मुताबिक NPP को 61% यानी 68 लाख वोट मिले हैं।
दूसरे स्थान पर 18% वोट और 35 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी SJB पार्टी मौजूद है। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के समर्थन वाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट को 5% वोट और 3 सीटें ही मिली हैं।
वहीं श्रीलंका की राजनीति में दबदबा रखने वाले राजपक्षे परिवार की श्रीलंका पीपल्स फ्रंट (SLPP) पार्टी 2 सीटों के साथ पांचवें स्थान पर पहुंच गई है।
NPP ने तमिल जिले जाफना में भी जीत हासिल की है। यहां NPP को 6 में 3 सीटों पर जीत मिली है। NPP की जीत से पारंपरिक तमिल दलों को बड़ा झटका लगा है। संसदीय चुनाव के लिए गुरुवार, 14 नवंबर को वोटिंग हुई थी।
बहुमत के लिए 113 सीटें जरूरी
श्रीलंका की संसद में 225 सीटे हैं। बहुमत के लिए 113 का आंकड़ा जरूरी है। राष्ट्रपति दिसानायके के लिए इस चुनाव में बहुमत हासिल करना बेहद जरूरी है। संसद से मंजूरी मिलने के बाद ही राष्ट्रपति दिसानायके सरकार की महत्वपूर्ण नीतियों को लागू कर सकते हैं।
पिछली बार दिसानायके की पार्टी को सिर्फ 3 सीटें मिली थी। श्रीलंका में आखिरी बार अगस्त 2020 में संसदीय चुनाव हुए थे।
ऐसे में नए चुनाव अगले साल होने थे लेकिन इसी साल सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद अनुरा कुमारा दिसानायके ने संसद को भंग कर दिया था। इसके बाद संसदीय चुनाव का ऐलान किया गया था। 2020 में हुए चुनावों के नतीजे कुछ इस प्रकार थे-
दिसानायके ने कार्यकारी राष्ट्रपति की शक्ति कम करने का वादा किया
श्रीलंकाई चुनाव आयोग के मुताबिक 8,821 प्रत्याशियों ने संसदीय चुनाव में किस्मत आजमाई है। मतदाता आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत 22 निर्वाचन क्षेत्रों से संसद के लिए 196 सदस्यों का सीधे चुनाव करते हैं। बाकी 29 सीटें आनुपातिक वोट के मुताबिक बांटी जाती हैं।
चुनाव में जिस पार्टी को जितने वोट मिलेंगे, उसके मुताबिक ही उसे 29 सीटों में हिस्सा मिलता है। एक वोटर प्राथमिकता के आधार पर 3 प्रत्याशियों को वोट दे सकते हैं।
अलजजीरा के मुताबिक राष्ट्रपति दिसानायके का मानना है कि देश की शक्ति काफी हद तक ‘कार्यकारी राष्ट्रपति’ के अधीन है। वे इस पावर को कम करने का वादा लेकर चुनाव में उतरे थे, लेकिन उन्हें संविधान में बदलाव की जरूरत होगी। उन्हें इसके लिए दो-तिहाई सीटें चाहिए। दिसानायके ने संसदीय चुनाव में जनता से इतनी सीटें जिताने की अपील की थी।
श्रीलंका में कार्यकारी राष्ट्रपति पद पहली बार 1978 में अस्तित्व में आया था। इसके बाद से ही इसकी आलोचना होती रही है, लेकिन सत्ता में आने के बाद अब तक किसी भी दल ने इसकी ताकत को खत्म करने की कोशिश नहीं की है।
दिसानायके ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और रानिल विक्रमसिंघे के दौर में IMF के साथ हुई डील में सुधार करने का वादा किया है।
श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी दिसानायके जीते:42% वोट मिले, कल शपथ ले सकते हैं; पहले भारत का विरोध किया था फिर संबंध सुधारे
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को जीत मिली। दिसानायके देश के 10वें राष्ट्रपति बने। उन्होंने रानिल विक्रमसिंघे की जगह ली।
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