नई दिल्ली । खेलो इंडिया योजना के ‘प्रतिभा खोज और विकास’ वर्टिकल के तहत, इस योजना के तहत पहचाने और चुने गए खेलो इंडिया खिलाड़ियों को प्रति खिलाड़ी प्रति वर्ष 6.28 लाख रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें 1.20 लाख रुपये प्रति वर्ष पॉकेट भत्ता के रूप में दिया जाता है और कोचिंग, खेल विज्ञान सहायता, आहार, उपकरण, उपभोज्य, बीमा शुल्क आदि जैसी अन्य सुविधाओं के लिए 5.08 लाख रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर योजना के तहत अधिसूचित प्रत्येक खेलो इंडिया केंद्र प्रति खेल 5 लाख रु का एक बार मिलने वाला अनुदान और प्रति खेल पांच लाख रुपये का आवर्ती अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्र है। खेलो इंडिया योजना के “राष्ट्रीय/क्षेत्रीय/राज्य खेल अकादमियों को समर्थन” वर्टिकल के तहत, खेलो इंडिया खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए खेल अकादमियों को मान्यता दी जाती है। अकादमियों को मान्यता देना एक सतत प्रक्रिया है और खेल अकादमियों को खेलो इंडिया योजना के तहत नियत प्रक्रिया का पालन करने के बाद राज्य/केंद्र शासित क्षेत्र की सरकारों से रुचि की अभिव्यक्ति प्राप्त होने पर मान्यता दी जाती है। देशभर में अब तक ऐसे 236 खेल अकादमियों को मान्यता मिल चुकी है। इसके अलावा, खेलो इंडिया योजना के “राज्य स्तरीय खेलो इंडिया केंद्र” वर्टिकल के तहत, इस मंत्रालय ने देश भर में 1,000 खेलो इंडिया केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है, जिनमें से 360 खेलो इंडिया केंद्र पहले ही अधिसूचित किए जा चुके हैं। युवा मामले और खेलमंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।