सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: बीते कुछ वर्षों में देखें तो स्पेस में आगे निकलने की जो रेस शुरू हुई है, वह आज एक जंग में तब्दील हो गई है. हर महाशक्ति खुद को दूसरे से स्पेस में आगे रखना चाहती है. इसलिए स्पेस में मिशन भेजने की रफ्तार तेज हो गई हो, भले ही वो चांद हो या फिर मंगल. इतना ही नहीं, स्पेस टूरिज्म का डंका भी अमीरों के बीच जमकर बज रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्पेस में एक कार्गो रॉकेट को भेजने में कितने पैसे खर्च होते हैं और बीते वर्षों में इस कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया. सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के डेटा के आधार पर हम आपको साल 1960 से लेकर 2022 में छोड़े गए अहम स्पेसक्राफ्ट की प्रति किलोग्राम लागत (डॉलर में) पर बात करेंगे |

21 दिसंबर 2021 को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट छोड़ा गया, जिसने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एस्ट्रोनॉट्स को क्रिसमस के तोहफे सप्लाई किए थे. इसे छोड़े जाने के 8 मिनट के भीतर ही रॉकेट का पहला स्टेज धरती पर लौट आया. यह कंपनी की 100वीं कामयाब लैंडिंग थी |

इसी तरह जेफ बेजॉस की ब्लू ओरिजिन, एंड बॉल एयरोस्पेस और स्पेसएक्स ऐसे ही इनोवेटिव स्पेसक्राफ्ट बना रहे हैं, जिससे स्पेस में सामान पहुंचाना बेहद किफायती और आसान होता जा रहा है |

20वीं सदी में जब शीत युद्ध चरम पर था तब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच अंतरिक्ष में आगे रहने की होड़ थी. स्पेस रेस की वजह से टेक्नोलॉजी तो बेहतर हुई लेकिन इन इनोवेशन की लागत बहुत ज्यादा थी. जैसे 1960 में नासा ने चांद पर एस्ट्रोनॉट्स को उतारने में 28 बिलियन डॉलर खर्च कर दिए थे. आज यह कीमत करीब 288 बिलियन डॉलर होती |

पिछले दो दशकों में स्पेस स्टार्टअप्स ने यह साबित किया है कि वे बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसे महारथियों से मुकाबला कर सकते हैं. आज स्पेसएक्स का रॉकेट लॉन्च 1960 में रूस के Soyuz की तुलना में 97 प्रतिशत सस्ता है |

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