सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में एक्टिंग और कॉमेडी के लिए मशहूर असित सेन की आज 107वीं बर्थ एनिवर्सरी है। असित सेन अपनी अलग पहचान रखते थे। बेहद धीमी और स्लो आवाज से डायलॉग डिलीवरी करना उनकी खासियत थी। ‘बीस साल बाद’ की अपनी भूमिका में इसी स्टाइल की वजह से वे सुपरहिट हो गए।

असित सेन ने करीब 250 बांग्ला और हिंदी फिल्मों में काम किया। असित सेन के फिल्मों में आने का किस्सा भी दिलचस्प है। जब वे बंबई पहुंचे तो उन्हें मशहूर फिल्मकार बिमल रॉय के साथ बतौर कैमरामैन काम करना था। दरअसल, असित सेन को फोटोग्राफी का बहुत शौक था।

उनका उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में एक फोटो स्टूडियो भी था। फोटोग्राफी के सिलसिले में वह साल 1949-50 में कोलकाता चले गए। वहां उन्होंने न्यू थिएटर जॉइन किया। वहां एक ड्रामा में एक्टिंग के दौरान बिमल रॉय से उनकी मुलाकात हुई।

इनकी कॉमिक टाइमिंग और बोलने के अंदाज को देखते हुए बिमल रॉय ने इन्हें फिल्म ‘सुजाता’ में प्रोफेसर का रोल दिया। इसके बाद असित बेहतरीन कॉमेडियन के तौर पर पहचाने जाने लगे।

बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर नजर डालते हैं असित सेन की जिंदगी के दिलचस्प किस्सों पर…

परिवार से बोला झूठ, फिल्मों में काम करने गए कलकत्ता

असित सेन का जन्म 13 मई 1917 को गोरखपुर के बंगाली परिवार में हुआ था। रोजगार के सिलसिले में उनका परिवार पश्चिम बंगाल के जिला बर्दवान से आकर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बसा था। असित सेन के पिता कभी रेडियो और ग्रामोफोन की दुकान, तो कभी बिजली के सामान की दुकान चलाते थे।

असित सेन को दुकान पर बैठना तो पसंद नहीं था, लेकिन उन्हें फोटोग्राफी का बेहद शौक था, तो कई समारोह में जाकर फोटो खींचने का काम भी करते थे। असित जब 10वीं पास हुए तो मां चाहती थीं कि उनकी शादी करवा दी जाए, लेकिन असित कुछ और ही चाहते थे।

वे कलकत्ता के न्यू थिएटर्स में जाकर डायरेक्टर नितिन बोस से फिल्ममेकिंग सीखना चाहते थे। असित को समझ नहीं आ रहा था कि कलकत्ता कैसे जाएं। तभी एक शादी के सिलसिले में उनका वहां जाना हुआ। कलकत्ता जाकर असित ने परिवार वालों के सामने ये बहाना बनाया कि उन्हें कलकत्ता में रहकर ‌B Com की पढ़ाई करनी है।

फोटोग्राफी दोबारा खींच लाई गोरखपुर

कलकत्ता आकर असित ने थिएटर में भी हाथ आजमाया और कुछ नाटकों में भी काम किया। धीरे-धीरे उन्हें अपने काम के लिए तारीफ मिलने लगी, लेकिन तभी असित को वापस गोरखपुर जाना पड़ा।

दरअसल गोरखपुर के पुलिस कमिश्नर साहब से असित के पिता की अच्छी पहचान थी। उनका गोरखपुर से तबादला हो गया तो शहर में बड़ा विदाई समारोह रखा गया।

इस समारोह में फोटोग्राफी की जिम्मेदारी असित सेन को देकर उन्हें कलकत्ता से वापस गोरखपुर बुलाया गया। सबको असित की खींची तस्वीरें बेहद पसंद आईं।

असित सेन भी अपनी तारीफ से इतना खुश हो गए कि उन्होंने 1932 में गोरखपुर में सेन फोटो स्टूडियो खोल लिया। उनका फोटो स्टूडियो अच्छा चल रहा था, लेकिन तभी वर्ल्ड वॉर 2 छिड़ गया। उस दौर में इंडिया में फोटोग्राफी का सारा सामान विदेश से आता था। वॉर की वजह से ऐसा हो नहीं पाया और सेन का फोटो स्टूडियो संकट में आ गया।