सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पिछले 11 महीने से आंदोलन कर रहे किसानों को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का साथ मिल गया है। इस आंदोलन को लेकर आज पटियाला के पातड़ां में चार घंटे तक मीटिंग हुई। इसमें शंभू और खनौरी मोर्चे पर डटे किसान नेता और SKM के नेता शामिल रहे।

मीटिंग खत्म होने के बाद किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा कि मीटिंग में तय हुआ है कि 18 जनवरी को दोबारा से मीटिंग की जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। साथ ही मीटिंग में चर्चा हुई है कि इस आंदोलन को आगे कैसे लेकर जाना चाहिए और कैसे सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।

किसान नेताओं ने कहा कि आज हम तीन फोरमों के नेता एकमंच पर हैं। यह बड़ी पॉजिटिव चीज है। इसके साथ ही किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि कोई साथी एक दूसरे पर टिका टिप्पणी नहीं करेगा।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जांच में लगे डॉक्टर। उनके लगातार टेस्ट किए जा रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ, फसलों पर MSP की गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को आमरण अनशन पर बैठे आज 49 दिन हो गए हैं। उनके डॉक्टरों ने बताया है अब डल्लेवाल का मांस सिकुड़ना शुरू हो गया है, जोकि चिंताजनक स्थिति है।

मीटिंग के बाद क्या बोले किसान नेता

जोगिंदर सिंह उगराहां: मीटिंग अच्छे माहौल में हुई हे। मोर्चा भी यह सोचता है कि सभी दलों को एकजुट होना होगा। जनता के सहयोग के बिना मोर्चा फतेह नहीं किया जा सकता।

आज फिर यह फैसला हुआ है कि कोई भी एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं करेगा। हमारा दुश्मन भी सांझा है और संघर्ष भी सांझा है। 18 तारीख को भी इसी जगह पर मीटिंग होगी।

सुरजीत सिंह फूल: इस मीटिंग का सबसे बड़ा आउटपुट है कि एकता के लिए यह मीटिंग हुई है। तालमेल ग्रुप बनाने पर फैसला हुआ है। इस पर 18 जनवरी को होने वाली मीटिंग में मोहर लगेगी। इसके बाद 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर रणनीति बनाई जाएगी।

क्या हैं नेताओं के बयान के मायने पातड़ां में हुई मीटिंग के बाद सामने आए किसान नेताओं के बयानों से साफ है कि अब यह आंदोलन एकता के साथ लड़ा जाएगा। दूसरी तरफ 18 को मीटिंग बुलाने के पीछे सोच यह भी है कि अगर किसी इश्यू को लेकर कोई मदभेद भी रह जाए तो उसे तय समय में सुलझाया जा सके। जिससे बाद में चलकर दिक्कत न उठानी पड़े। वहीं, जो बयानबाजी पर रोक लगाई गई, उससे भी किसानों की छवि सुधारने की कोशिश है।

शरीर को होने वाले नुकसान की नहीं होगी भरपाई 49 दिन से मरणव्रत पर बैठे डल्लेवाल की हालत खराब है। डॉक्टरों ने बताया कि डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ रही है। पहले ही उन्हें बोलने में दिक्कत आ रही थी। अब उनका शरीर सिकुड़ना शुरू हो गया है। उनका शरीर खुद को ही खा रहा है। इसकी भरपाई दोबारा नहीं होगी। हालांकि, सरकारी व निजी डॉक्टरों की टीम उन पर नजर रखे हुए हैं।

पंजाब सरकार की ओर से धरनास्थल के पास ही एक अस्थायी अस्पताल और एंबुलेंस तैनात की हुई है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। हालांकि, डल्लेवाल मेडिकल सुविधा नहीं ले रहे हैं। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जांच में लगे डॉक्टर। उनके लगातार टेस्ट किए जा रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ, फसलों पर MSP की गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को आमरण अनशन पर बैठे आज 49 दिन हो गए हैं। उनके डॉक्टरों ने बताया है अब डल्लेवाल का मांस सिकुड़ना शुरू हो गया है, जोकि चिंताजनक स्थिति है।

मीटिंग के बाद क्या बोले किसान नेता

जोगिंदर सिंह उगराहां: मीटिंग अच्छे माहौल में हुई हे। मोर्चा भी यह सोचता है कि सभी दलों को एकजुट होना होगा। जनता के सहयोग के बिना मोर्चा फतेह नहीं किया जा सकता।

आज फिर यह फैसला हुआ है कि कोई भी एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं करेगा। हमारा दुश्मन भी सांझा है और संघर्ष भी सांझा है। 18 तारीख को भी इसी जगह पर मीटिंग होगी।

सुरजीत सिंह फूल: इस मीटिंग का सबसे बड़ा आउटपुट है कि एकता के लिए यह मीटिंग हुई है। तालमेल ग्रुप बनाने पर फैसला हुआ है। इस पर 18 जनवरी को होने वाली मीटिंग में मोहर लगेगी। इसके बाद 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर रणनीति बनाई जाएगी।

क्या हैं नेताओं के बयान के मायने पातड़ां में हुई मीटिंग के बाद सामने आए किसान नेताओं के बयानों से साफ है कि अब यह आंदोलन एकता के साथ लड़ा जाएगा। दूसरी तरफ 18 को मीटिंग बुलाने के पीछे सोच यह भी है कि अगर किसी इश्यू को लेकर कोई मदभेद भी रह जाए तो उसे तय समय में सुलझाया जा सके। जिससे बाद में चलकर दिक्कत न उठानी पड़े। वहीं, जो बयानबाजी पर रोक लगाई गई, उससे भी किसानों की छवि सुधारने की कोशिश है।

शरीर को होने वाले नुकसान की नहीं होगी भरपाई 49 दिन से मरणव्रत पर बैठे डल्लेवाल की हालत खराब है। डॉक्टरों ने बताया कि डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ रही है। पहले ही उन्हें बोलने में दिक्कत आ रही थी। अब उनका शरीर सिकुड़ना शुरू हो गया है। उनका शरीर खुद को ही खा रहा है। इसकी भरपाई दोबारा नहीं होगी। हालांकि, सरकारी व निजी डॉक्टरों की टीम उन पर नजर रखे हुए हैं।

पंजाब सरकार की ओर से धरनास्थल के पास ही एक अस्थायी अस्पताल और एंबुलेंस तैनात की हुई है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। हालांकि, डल्लेवाल मेडिकल सुविधा नहीं ले रहे हैं। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है।

किसान जग्गा सिंह, जिनकी 12 जनवरी को खनौरी मोर्चे पर तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई।

जाखड़ बोले- MSP से पंजाब के किसानों का फायदा नहीं वहीं रविवार को आंदोलन को लेकर पंजाब के भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ का बयान आया। उन्होंने कहा कि फसलों की MSP की कानूनी गारंटी पंजाब के किसानों के लिए नुकसानदायक है। पंजाब और हरियाणा के किसानों को गेहूं और धान की खरीद पर केंद्र की ओर से MSP दी जाती है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर MSP लागू होने से किसानों को मौजूदा व्यवस्था के तहत मिलने वाले लाभ से हाथ धोना पड़ेगा।

हरियाणा के चरखी दादरी में 12 जनवरी को सर्वजातीय फोगाट खाप की बैठक हुई। खाप ने कहा कि अगर डल्लेवाल शहीद हो गए तो खाप पंचायतों के सहयोग से किसान आंदोलन उग्र रूप धारण कर लेगा। खाप ने सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए केंद्र सरकार के माध्यम से डल्लेवाल का अनशन खत्म करवाने का अनुरोध किया।

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