सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: सरकारी बैंकों को लेकर राहुल गांधी के बयान पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार किया है। वित्त मंत्री ने कहा- राहुल का बयान बेबुनियाद हैं। उन्हें UPA सरकार की याद करनी चाहिए, जब सरकारी बैंक गांधी फैमिली के दोस्तों के ATM हुआ करते थे।

दरअसल, वित्त मंत्री का यह बयान तब आया जब राहुल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मोदी सरकार पर सरकारी बैंकों के दुरुपयोग का आरोप लगाया।

राहुल ने कहा था कि सरकारी बैंकों का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि गरीबों को लोन मिल सके, लेकिन आज केंद्र सरकार में इन बैकों का इस्तेमाल सिर्फ अमीरों के फाइनेंसर के तौर पर रह गया है।

जानिए कहां से शुरू हुआ ये विवाद…

यह तस्वीर राहुल गांधी की तरफ से शेयर किए गए वीडियो से ली गई है।
इसमें बैकिंग डेलिगेशन सरकारी बैकों से जुड़ी समस्याओं पर राहुल से चर्चा कर रहे हैं।

यह पूरा विवाद राहुल गांधी के एक सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ। राहुल ने 11 दिसंबर की दोपहर 12 बजे के करीब X पर एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें वह ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स के एक डेलिगेशन से बातचीत कर रहे हैं।

वीडियो पोस्ट करते हुए राहुल ने लिखा, ‘आज मैंने एक डेलिगेशन से मुलाकात की, जिन्होंने हमारी सरकारी बैंकों की स्थिति और आम लोगों पर इसके प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सरकारी बैंकों में आम लोगों तक सर्विस पहुंचाने की बजाय प्रॉफिट को प्राथमिकता दी जा रही है। मोदी सरकार को इन बैंकों का इस्तेमाल अपने धोखेबाज दोस्तों के लिए बंद करना चाहिए।’

वित्त मंत्री का पलटवार, बोलीं- UPA सरकार में बैंकों की सेहत बिगड़ी राहुल के इस बयान का जवाब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बड़े पोस्ट के साथ दिया। वित्त मंत्री ने लिखा- राहुल की बेबुनियाद बयानबाजी फिर से सामने आ गई है। भारत के बैंकिंग क्षेत्र, खासकर पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) में PM मोदी के नेतृत्व में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं।

क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि कांग्रेस के UPA शासन के दौर में कॉर्पोरेट क्रेडिट के केंद्रीकरण और अंधाधुंध लोन बांटने से ही PSBs की सेहत बिगाड़ दी थी? तब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सत्ता में बैठे लोगों के खास मित्रों के लिए ‘ATM’ की तरह इस्तेमाल किया जाता था।

दरअसल, UPA शासन के दौरान ही बैंक कर्मचारियों को डराकर, ‘फोन बैंकिंग’ के जरिए अपने चहेतों को मनमाने लोन देने पर मजबूर किया जाता था। क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि हमारी सरकार ने 2015 में ‘एसेट क्वालिटी रिव्यू’ शुरू करके UPA सरकार की इसी ‘फोन बैंकिंग’ की काली करतूतों को उजागर किया?

संसद में 9 दिसंबर को राहुल गांधी रिपोर्टर के रोल में दिखे। विपक्ष के दो सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गौतम अडाणी का मुखौटा लगाया और राहुल से बातचीत की। राहुल ने मोदी-अडाणी के संबंध, अमित शाह की भूमिका और संसद न चलने पर करीब 8 सवाल किए।

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