सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : “कोई भी माता-पिता या बच्चा आदर्श नहीं होते। पैरेंटिंग को बच्चे के स्वभाव, जीवन चरण और भावनात्मक-सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार ढालना जरूरी है,” यह कहना है भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) की मनोचिकित्सा विभाग की सहायक प्रोफेसर ज्योत्स्ना जैन का। वह सियन इंटरनेशनल स्कूल के वार्षिक समारोह में मुख्य अतिथि और विशेषज्ञ वक्ता के रूप में बोल रही थीं। उन्होंने आधुनिक पेरेंटिंग की चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए। निदेशक जैन ने कहा कि बदलते पारिवारिक ढांचे, खेल के मैदानों की कमी, बढ़ता स्क्रीन टाइम, इंटरनेट से गलत सूचनाएं, और समय से पहले किशोरावस्था आज की पीढ़ी के सामने बड़ी समस्याएँ बन रही हैं।
निदेशक जैन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद वर्चुअल ऑटिज्म, इंटरनेट और गेमिंग की लत, और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि देखी गई है। उन्होंने बताया कि जहाँ एक ओर आज के बच्चे माता-पिता के लिए अत्यधिक कीमती हैं, वहीं दूसरी ओर वे बढ़ते बुलिंग, साथियों के दबाव और डिजिटल दुनिया में बढ़ती निर्भरता के कारण सामाजिक रूप से अलग-थलग हो रहे हैं। वहीं, युवा माता-पिता अपने करियर और प्रतिस्पर्धी दुनिया में आगे बढ़ने की कोशिशों के चलते पारिवारिक सहयोग की कमी महसूस कर रहे हैं, जिससे पेरेंटिंग में या तो अधिक सुरक्षा या उपेक्षा का माहौल बन रहा है।
उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों के साथ बिताए गए समय की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, भले ही समय कम हो। इसके अलावा, संवेदनशीलता, समाजसेवा, नेचर वॉक, खेलकूद, और पारिवारिक मेलजोल को बढ़ावा देना चाहिए। डॉ. जैन ने यह भी कहा कि बच्चों में आत्मनिर्भरता विकसित करनी चाहिए, उन्हें खुद के फैसले लेने देना चाहिए, असफलताओं से सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए, और उनकी रुचियों को पहचानकर प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि अच्छे माता-पिता बनने के लिए किसी “आदर्श” की दौड़ में शामिल होने की जरूरत नहीं है, बल्कि एक संतुलित, जागरूक और लचीला दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
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