सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: पूरे जंतु जगत में पक्षी सबसे रंगीन जीवों में से एक हैं. लेकिन इतने सारे रंगों वाले पक्षी अलग अलग कैसे होते हैं? चमकीले लाल, नारंगी और पीले पंख या चोंच वाले लगभग सभी पक्षी अपने रंग उत्पन्न करने के लिए कैरोटीनॉयड नामक पिगमेंट के समूह का उपयोग करते हैं. लेकिन, ये पक्षी सीधे तौर पर कैरोटीनॉयड नहीं बना सकते. उन्हें अपने आहार में पौधों से ये तत्व प्राप्त करने होते हैं. तोते इस नियम के अपवाद हैं, जिन्होंने रंगीन रंगद्रव्य बनाने का एक बिल्कुल नया तरीका विकसित किया है, जिसे ‘सिटाकोफल्विन’ कहते हैं |

वैज्ञानिकों को इन विभिन्न रंगों के बारे में कुछ समय से जानकारी है, लेकिन पक्षियों द्वारा रंग में भिन्नता लाने के लिए इनका उपयोग करने के पीछे के जैव-रासायनिक और आनुवंशिकी आधार को लेकर उनकी समझ अभी सीमित है. हालांकि, तोते और ‘फिंच’ (रंग बिरंगी छोटी चिड़ियों की प्रजाति) के बारे में हाल ही में किए गए दो अलग-अलग अध्ययनों ने इस रहस्य पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है |

एक अध्ययन ‘करेंट बायोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है जिसका नेतृत्व हममें से एक (डैनियल हूपर) ने किया था. दूसरे अध्ययन का नेतृत्व पुर्तगाली जीवविज्ञानी रॉबर्टो अबोरे ने किया और उसे ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया. दोनों अध्ययन संयुक्त रूप से इस संबंध में हमारी समझ को आगे बढ़ाते हैं कि पक्षी किस प्रकार खुद को रंगीन प्रस्तुत करते हैं और ये गुण किस प्रकार विकसित हुए हैं |

एकल एंजाइम

इन दोनों नए अध्ययनों में अंतरराष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं की बड़ी टीम शामिल थीं. उन्होंने आनुवंशिक अनुक्रमण में हाल ही में हुई प्रगति का उपयोग यह जांचने के लिए किया कि जीनोम (जंतु के डीएनए का पूरा सेट) के कौन से क्षेत्र तोते और फिंच में प्राकृतिक पीले से लाल रंग के बदलाव को निर्धारित करते हैं |

उल्लेखनीय है कि पक्षियों के ये दोनों समूह अलग-अलग पिगमेंट का इस्तेमाल कर अपने रंगों को प्रदर्शित करते हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया कि उनका विकास एक ही तरह से हुआ है |

अबोरे ने अपने अनुसंधान में तोते की एक प्रजाति डस्की लॉरी (स्यूडियोस फ्यूस्काटा) पर अध्ययन किया, जो मूल रूप से न्यू गिनी में पाया जाता है और उसके पंखों की पट्टियां पीले, नारंगी या लाल रंग की होती हैं. अनुसंधान में पाया गया कि पंखों के पीले और लाल रंग में परिवर्तन एएलडीएच3ए2 नामक एंजाइम से जुड़ा है. यह एंजाइम तोते के लाल पिगमेंट को पीले रंग में परिवर्तित कर देता है. पंखों के बढ़ने के दौरान एंजाइम की मात्रा अधिक होने पर वे पीले हो जाते हैं; और जब एंजाइम की मात्रा कम होती है, तो वे लाल हो जाते हैं |

वैज्ञानिकों ने पाया कि एएलडीएच3ए2 एंजाइम तोते की कई अन्य प्रजातियों में भी रंग भिन्नता का कारण बनता है, जिनमें स्वतंत्र रूप से पीले से लाल रंग का बदलाव विकसित हुआ है |

#परमाणु #पक्षीरंग #प्रजातिविकास #जीवविज्ञान #विज्ञान