सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: किसी भी भाषा मे शिक्षा की महत्ता तब अधिक हो जाती है जब उस भाषा के प्राचीन साहित्य का भी उसमें समुचित समावेश हो। यह बात दक्षिण-पश्चिम विधानसभा के विधायक भगवानदास सबनानी ने मध्यप्रदेश सिन्धी साहित्य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद-नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कही।

“मध्यप्रदेश में सिन्धी शिक्षा:राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में..” विषय पर आधारित इस संगोष्ठी का आयोजन मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के सभागार में बीते रोज किया गया। निदेशक सबनानी ने कहा कि किसी भी भाषा व बोली का सीधा संबंध उस भाषा के साहित्य से होता है, हमें यदि सिन्धी भाषा की शिक्षा को बढ़ावा देना है तो 712 ईस्वी से पूर्व के सिन्धी इतिहास पर गम्भीरता से ध्यान देना होगा क्योंकि उस काल का सिन्धी साहित्य क्या था,यह हम सभी की जानकारी में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्य के लिए शासन की ओर से भरपूर सहयोग मिलेगा और इसकी चिंता मैं स्वयं करूंगा।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद-नई दिल्ली के निदेशक रविप्रकाश टेकचंदानी ने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषाओं के संबंध में विभिन्न प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि आज समय आ चुका है कि हम सिन्धी भाषा की महत्ता को पुनर्स्थापित करें क्योंकि नई शिक्षा नीति इस संबंध में बहुत सहायक है।उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति अंतर्गत अन्य भाषाओं के साथ ही सिन्धी भाषा के माध्यम से भी रोज़गार के विभिन्न अवसर प्राप्त हो सकते हैं लेकिन इसके लिए हम सभी को नई शिक्षा नीति का अध्ययन करना होगा तभी हम इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न विषयों की पुस्तकों का सिन्धी में अनुवाद हो ऐसी ए आई सी टी ई की मंशा भी है और आवश्यकता भी लगभग 1500 से अधिक पुस्तकें सिन्धी में अनुवादित की जाना हैं परन्तु अनुवादक इतनी अधिक संख्या में नहीं हैं, इसी प्रकार आने वाले समय मे विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में सिन्धी शिक्षा के लिए अध्यापन के अवसर आने वाले हैं, इसलिए हम सभी को अपने बच्चों को अभी से इस दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा। संगोष्ठी के आरम्भ में अतिथियों का स्वागत अकादमी के निदेशक राजेश कुमार वाधवानी ने किया, आयोजन की भूमिका रखते हुए उन्होंने कहा कि सिन्धी शिक्षा के लिये मध्यप्रदेश सिन्धी साहित्य अकादमी का अब तक का यह पहला कार्यक्रम है किंतु सिन्धी साहित्य व सिन्धी शिक्षा के सामंजस्य की दिशा में अकादमी यथासम्भव अधिक प्रयास करेगी।
संगोष्ठी का संचालन समीक्षा लछवानी ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों व महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे सिन्धी भाषी शिक्षक व साहित्यकार प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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