आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : बॉलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा 39 साल के हो गए हैं। सिद्धार्थ ने 2012 में करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया। ऐसा नहीं है कि उन्हें इंडस्ट्री में आसानी से ड्रीम लॉन्च मिल गया। इससे पहले सिद्धार्थ ने फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए खूब पापड़ बेले।

मॉडलिंग की, असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया, कई ऑडिशन दिए तब जाकर फिल्म मिली। पहली कमाई सात हजार थी। अब सिद्धार्थ 70 करोड़ के घर में रहते हैं।

आज सिद्धार्थ बॉलीवुड के सबसे हैंडसम स्टार्स में से एक हैं। पिछले साल उन्होंने एक्ट्रेस कियारा आडवाणी से शादी की है जिन्हें उन्होंने इटली में प्रपोज किया था।

जल्द ही सिद्धार्थ को रोहित शेट्टी की वेब सीरीज ‘इंडियन पुलिस फोर्स’ में देखा जाएगा। इसके अलावा वह फिल्म ‘योद्धा’ में भी नजर आएंगे। उनकी जिंदगी के दिलचस्प फैक्ट्स पर नजर डालते हैं…

18 साल की उम्र में करने लगे थे मॉडलिंग

सिद्धार्थ का जन्म दिल्ली की एक पंजाबी, हिंदू फैमिली में हुआ। उनके पिता सुनील मल्होत्रा मर्चेंट नेवी में थे, जबकि मां रीमा हाउसवाइफ हैं। सिद्धार्थ की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के डॉन बॉस्को स्कूल और नेवल पब्लिक स्कूल में हुई। उनका ग्रेजुएशन शहीद भगत सिंह कॉलेज, दिल्ली से हुआ।

सिद्धार्थ ने पॉकेट मनी के लिए 18 साल की उम्र में ही मॉडलिंग शुरू कर दी थी। गुड लुक्स और बेहतरीन फिजीक के चलते सिद्धार्थ को मॉडलिंग में काफी कामयाबी मिली। मॉडलिंग में उनकी पहली फीस सात हजार रुपए थी जो कि उन्होंने अपनी मां को दे दी, क्योंकि तब तक उनका कोई पर्सनल बैंक अकाउंट ही नहीं था।

एक्टिंग में नाम कमाने के लिए छोड़ी मॉडलिंग

सिद्धार्थ ने मॉडलिंग में ‘द ग्लैडरेग्स मेगा मॉडल’ और ‘द मैनहंट पेजेंट’ भी जीते। चार साल तक मॉडलिंग में नाम कमाने के बाद सिद्धार्थ इससे बोर हो गए और उन्होंने मॉडलिंग छोड़ने का फैसला कर लिया। एक्टर बनने की चाह में वह दिल्ली से मुंबई आ गए।

सिद्धार्थ ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘स्कूल के बाद जब मैं कॉलेज गया तो मुझे लगा कि मैं MBA कर लूंगा जैसे मेरे भाई ने किया था और फाइनेंस में मेरी जॉब लग जाएगी। फिर कॉलेज के दौरान मॉडलिंग में मेरी दिलचस्पी जागी और उसके बाद बॉलीवुड में काम करने का कीड़ा काटा।’

सिद्धार्थ के मुताबिक, उनके लिए दिल्ली से मुंबई आने का फैसला मुश्किल भरा था, क्योंकि मुंबई में बिना किसी गॉडफादर के उनके लिए जगह बनाना आसान नहीं था।