आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में ब्रिटिश काल के बने आइस स्केटिंग रिंक में सोमवार से स्केटिंग शुरू हो गई। पहले ही दिन 50 से ज्यादा स्केटर्स ने यहां स्केटिंग का आनंद उठाया। प्राकृतिक विधि से आइस जमाने वाला यह एशिया का इकलौता आइस स्केटिंग रिंक है। यहां पर स्केटिंग के दौरान म्यूजिक भी चलता रहता है।

यहां पर अब अगले तीन महीने तक 300 रुपए फीस देकर स्केटिंग की जा सकेगी। देश भर से शिमला आने वाले पर्यटक भी स्केटिंग भी इसका लाभ ले सकते हैं। उन्हें अपने साथ स्केट लाने की भी जरूरत नहीं होगी, स्केट यहीं से उपलब्ध कराई जाएगी।

शिमला के आइस स्केटिंग रिंक क्लब के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी रजत मल्होत्रा और क्लब के पदाधिकारी सुदीप महाजन ने ने कहा कि फिलहाल अगले कुछ दिन सुबह आठ से 10 बजे तक स्केटिंग की जाती है। शाम वाला सेशन अभी नहीं होगा। जैसे जैसे ठंड बढ़ेगी और रिंक में ज्यादा आइस होगी, उसके बाद सुबह व शाम दोनों सेशन में स्केटिंग करवाई जाएगी।

शिमला में स्केटिंग के PHOTOS…

शिमला में स्केटिंग का आनंद उठाते हुए स्केटर्स।

ऐसे जमाई जाती है बर्फ

शिमला के इस लक्कड़ बाजार रिंक में नेचुरल तरीके से आइस को जमाया जाता है। जिसमें यहां के तापमान को किसी मशीन से नियंत्रित नहीं किया जाता, बल्कि यहां पर शाम के समय रिंक में पानी डाला जाता है। रात में कम टेंपरेचर की वजह से सुबह तक यह जम जाता है। सुबह इस पर स्केटिंग होती है। हालांकि, आसमान में बादल छाने और तापमान अधिक होने से आइस जमाने में कठिनाई होती है। इससे यह पिघल जाती है, लेकिन ठंड में यह जल्दी जम जाती है।

12 महीने स्केटिंग की तैयारी

मौसम में आ रहे बदलाव को देखते हुए आइस स्केटिंग रिंक क्लब रेफ्रिजरेटर प्लांट और आवश्यक मशीनें लगाकर बर्फ जमाने की योजना पर आगे बढ़ रहा है। यह योजना सिरे चढ़ी तो यहां 12 महीने स्केटिंग हो सकेगी। इसके लिए ADB को प्रोजेक्ट बनाकर भेजा जाएगा।

शिमला में 103 साल पुराना स्केटिंग का इतिहास

शिमला के आइस स्केटिंग रिंक में साल 1920 से हर साल स्केटिंग होती आई है। इस रिंक का स्केटिंग का 103 साल पुराना इतिहास है। एक दशक पहले तक यहां 15 नवंबर से स्केटिंग शुरू हो जाती थी। मगर, पिछले 8-10 सालों से मौसम में आए बदलाव की वजह से दिसंबर के दूसरे व तीसरे सप्ताह में ही स्केटिंग शुरू हो पा रही है|