सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में युगादि महोत्सव का आयोजन किया गया। यह महोत्सव चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा एवं नववर्ष के शुभारंभ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, के कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी ने अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व कुलपति राधावल्लभ त्रिपाठी और सारस्वत अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,राजीव गांधी परिसर श्रृंगेरी, के निदेशक हंसधर झा उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संयोजन परिसर निदेशक रमाकांत पाण्डेय के निर्देशन में हुआ। मुख्य अतिथि प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी ने नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दो तरह के काल होते हैं एक अखंड काल और दूसरा सखंड काल। हमारे यहां कृषि कार्य भी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किया जाता है। सारस्वत अतिथि प्रो. हंसधर झा ने संक्रांति, एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य के प्रवेश से राशि पर क्या प्रभाव पड़ता है, की जानकारी दी। इस अवसर पर श्रीराजाभोज पंचांग का वाचन किया जिसमें संपूर्ण वर्ष के संवत्सर फल की जानकारी लखनऊ परिसर निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने दी।
सम्पूर्ण वर्ष में 12 राशियों के फल की जानकारी ज्योतिष विभागाध्यक्ष जयपुर परिसर प्रो. ईश्वर भट्ट ने दी। देवप्रयाग परिसर प्रो. पीवीबी सुब्रमण्यम ने ग्रहण काल में क्या करना उचित और क्या अनुचित है तथा उसके दुष्प्रभाव की जानकारी साझा की। वर्ष के पर्वों की महत्वपूर्ण जानकारी ज्योतिष विद्याशाखा के सहायक आचार्य अनिल कुमार ने दी। कार्यक्रम के अध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि हमे भारतीय काल गणना को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रतिदिन पंचांग पाठ करेंगे, जिससे हम अपनी भारतीय संस्कृति को जान पाएंगे। अतिथियों का वाचिक स्वागत परिसर निदेशक रमाकांत पाण्डेय द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन जयपुर परिसर के निदेशक सुदेश कुमार शर्मा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य भूपेंद्र पांडेय एवं सुश्री चित्रांशी शर्मा द्वारा किया गया।