सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: बांग्लादेश इन दिनों शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सुर्खियों में है। शेख हसीना ही वो शख्सियत हैं जिन्होंने बांग्लादेश में हिंदी फिल्मों की रिलीज की राह खोली थी। दरअसल, बांग्लादेश ने 1971 में भारतीय फिल्मों की रिलीज पर बैन लगा दिया था।

इस बैन को हटाने का काम शेख हसीना ने 2023 में किया क्योंकि वहां की फिल्म इंडस्ट्री बेहद खस्ताहाल स्थिति में थी। बैन हटने के 51 साल बाद शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ बांग्लादेश में रिलीज होने वाली पहली फिल्म थी।

बांग्लादेशी फिल्म इंडस्ट्री की बात करें इसे ढालीवुड कहते हैं। इस इंडस्ट्री की फिल्म कैपिटल ढाका है। इंडिया में जहां हर साल औसतन 2000 फिल्में बनती हैं वहीं, बांग्लादेश में साल भर में 70-100 फिल्में ही बन पाती हैं।

90 के दशक में तो वहां हर फिल्म हिंदी फिल्मों की कॉपी हुआ करती थी। दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचने के लिए साल 2000 के बाद फिल्ममेकर्स ने अश्लील फिल्मों का सहारा भी लिया जिससे फिल्म इंडस्ट्री हाशिए पर आ गई और इससे अब तक नहीं उबर पाई है।

जानते हैं कि बांग्लादेश की फिल्म इंडस्ट्री अब तक किन-किन उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरी है…

बांग्लादेश में बंद हो चुके 1000 से ज्यादा थिएटर

बांग्लादेश की सरकार ने आजादी के बाद 1972 में ये फैसला किया कि वो कोई भी विदेशी फिल्म अपने देश में नहीं चलने नहीं देंगे। सरकार के फैसले के पीछे ये तर्क था कि इससे वहां की लोकल फिल्मों को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि ये फैसला उल्टा पड़ गया।

80-90 के दौर में बांग्लादेश में ऐसी फिल्में बन ही नहीं पाईं जो ऑडियंस को एंटरटेन कर पाएं। उस दौर में ढालीवुड में नकल करने का चलन जोरों पर था। लगभग हर दूसरी फिल्म हिंदी फिल्मों से कॉपी करके बना दी जाती थी। प्रोड्यूसर्स बस ये चाहते थे कि थिएटरों में बांग्ला फिल्में चलती रहें।

90 के दशक में बांग्लादेश में करीब 1500 सिनेमा हॉल थे, लेकिन घिसी-पिटी बांग्ला फिल्मों के कारण ऑडियंस ने थिएटर में जाना बंद कर दिया।

मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में पिछले 20 सालों से 1000 से ज्यादा थिएटर्स पर ताला लगा है। अधिकतर सिनेमाहॉल मालिकों ने अपने थिएटर को शॉपिंग सेंटर या अपार्टमेंट में तब्दील कर लिया। ऐसे में साल 2000 आते-आते मेकर्स के सामने ये संकट हो गया कि वो फिल्मों की तरफ जनता का ध्यान कैसे खींचें।