सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड- न्यूज़ भोपाल: देशभर में खुलेआम बेची जा रही हैं बैन की गई दवाएं, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को आदेश दिया था कि वह उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग विभाग द्वारा प्रतिबंधित 14 उत्पादों की बिक्री और विज्ञापन बंद करने का सबूत पेश करें। लेकिन एक स्टिंग ऑपरेशन ने दिखाया कि सच्चाई कुछ और ही है।
कोर्ट का आदेश और पतंजलि का स्पष्टीकरण
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को हलफनामे में यह स्पष्ट करने का आदेश दिया कि क्या उन्होंने प्रतिबंधित 14 आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री रोक दी है। पतंजलि के वकीलों ने स्वीकार किया कि उन्हें अभी तक निलंबन रद्द करने का आधिकारिक आदेश नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी राज्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के माध्यम से मिली है।
हिन्दुस्तान टाइम्स का खुलासा
हिन्दुस्तान टाइम्स की टीम ने मंगलवार और बुधवार को नई दिल्ली, लखनऊ, पटना और देहरादून में पतंजलि के स्टोर्स का दौरा किया। स्टिंग ऑपरेशन में पता चला कि प्रतिबंधित उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं। टीम ने विभिन्न स्टोर्स से बैन किए गए उत्पाद खरीदे और रसीदें भी प्राप्त कीं। कुछ दुकानों पर सभी 14 उत्पाद उपलब्ध नहीं थे, लेकिन किसी ने भी यह नहीं कहा कि उनकी सप्लाई बंद हो गई है।
दिल्ली के स्टोर्स की स्थिति
नई दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में स्थित पतंजलि स्टोर पर टीम पहुंची तो दुकानदार को प्रतिबंध की जानकारी नहीं थी। उसके पास 14 में से 7 उत्पाद स्टॉक में थे। ईस्ट ऑफ कैलाश के एक अन्य स्टोर पर दुकानदार ने कहा कि उनके पास 14 में से 9 उत्पाद हैं और प्रतिबंध के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
पटना और देहरादून की स्थिति
पटना के लोक नायक भवन में स्थित प्रगति पतंजलि के आशीष केशरी ने कहा कि उन्हें कंपनी की ओर से बिक्री बंद करने की कोई सूचना नहीं मिली है। हिन्दुस्तान टाइम्स की टीम ने यहां से 14 में से 13 उत्पाद खरीदे।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है और मामले की सुनवाई 30 जुलाई को निर्धारित की है। पतंजलि के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड गौतम तालुकदार ने कहा कि जब तक कोई आधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं होता, पतंजलि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा लगाए गए निलंबन का पालन करने के लिए बाध्य है।
आखिर क्यों हो रही है अनदेखी?
सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद पतंजलि की प्रतिबंधित दवाइयों की बिक्री क्यों जारी है? यह स्थिति कानून के प्रति उदासीनता और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ को दर्शाती है।
समाप्ति
स्टिंग ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि पतंजलि आयुर्वेद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या कदम उठाती है और क्या पतंजलि आयुर्वेद पर कोई कठोर कार्रवाई की जाती है या नहीं।