सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : हिंदी भवन में आयोजित शरद व्याख्यानमाला और सम्मान समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा कि भारत के पास अपना चिंतन और दर्शन है। उन्होंने कहा कि षड्यंत्रपूर्वक भारत को अशिक्षित बताया गया, लेकिन नालंदा जैसे विश्वविद्यालय और हमारी प्रकृति प्रेमी संस्कृति ने इसे झुठलाया। उन्होंने गौरवशाली अतीत को सामने लाने और हमारी ज्ञान परंपरा और सीमाओं की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम में आठ विभूतियों को राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किए गए। मानस भवन के कार्यकारी अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। निदेशक शरद सोनी ने “वैश्विक संकट: सभ्यतागत संघर्ष की आहट” और निदेशक शंकरशरण ने “भारतीयता का संस्कार देने की दिशा” विषय पर व्याख्यान दिए।
सम्मानित रचनाकार:
प्रमोद भार्गव: नरेश मेहता स्मृति वांग्मय सम्मान
शीला मिश्रा: शैलेश मटियानी कथा सम्मान
जयंत शंकर देशमुख: सुरेशचंद्र शुक्ल ‘चन्द्र’ नाट्य सम्मान
अन्य सम्मानितों में शिशिर कुमार चौधरी, के. वनजा, मोहन तिवारी आनंद, इंदिरा दाँगी, और प्रभा पंत शामिल हैं।
संस्कृति पर विदेशी प्रभाव:
निदेशक शंकर शरण ने कहा कि विदेशी भाषा और विचारों ने भारतीय संस्कृति को प्रभावित किया है। उन्होंने वेद-पुराणों की शिक्षाओं को जीवन में उतारने पर बल दिया।
कार्यक्रम का संचालन अनिता सक्सेना ने किया और आभार प्रदर्शन रंजना अरगड़े ने व्यक्त किया।

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