सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  छह साल के इंतजार के बाद अब शहरवासियों को ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) का लाभ मिलने जा रहा है। नगर निगम ने मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीएसईडीसी) और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) की मदद से टीडीआर पोर्टल तैयार किया है। यह पोर्टल अगले हफ्ते लॉन्च होगा, जिससे प्रभावितों को टीडीआर सर्टिफिकेट मिलने लगेगा।

टीडीआर का लाभ:

  • पहले लाभार्थी: महू नाका से टोरी कॉर्नर तक बनी सड़क के प्रभावितों को पहले टीडीआर का लाभ मिलेगा। इसके बाद एबी रोड, कनाड़िया, आरडब्ल्यू-1 सहित अन्य प्रोजेक्ट्स के प्रभावितों को भी लाभ मिलेगा।
  • उपयोग और बिक्री: टीडीआर सर्टिफिकेट को वे खुद के मकान या निर्माण में उपयोग कर सकते हैं या किसी बिल्डर को बेच सकते हैं। इससे अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) मिलेगा, जो 1,000 वर्ग फीट के प्लॉट पर 1,250 से लेकर 3,000 वर्ग फीट तक निर्माण की अनुमति देगा।
  • वेतन लाभ: टीडीआर का लाभ न केवल प्रभावितों को मिलेगा, बल्कि अगर इसे किसी और को बेचा जाएगा तो उसे भी अतिरिक्त एफएआर का फायदा मिलेगा।

पोर्टल और अड़चनें:

  • टीडीआर पोर्टल: पिछले छह सालों में टीडीआर का लाभ नहीं मिल सका क्योंकि पोर्टल तैयार नहीं हो पाया था। नए पोर्टल पर जमीन मालिक और टीडीआर की जानकारी डिस्प्ले की जाएगी, जिससे ग्राहक आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
  • रीसिविंग एरिया: टीडीआर का फायदा सड़कों की चौड़ाई के आधार पर मिलेगा। अगर जमीन 24 मीटर की सड़क बनाने के लिए ली गई है, तो टीडीआर 48 मीटर वाली सड़क के क्षेत्र में मिलेगा। कुछ जनप्रतिनिधि इसका विरोध कर रहे हैं और पूरे इंदौर को रीसिविंग एरिया घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

अन्य राज्यों का अनुभव:

  • राजस्व में वृद्धि: कई राज्यों में टीडीआर पॉलिसी लागू हो चुकी है, जैसे महाराष्ट्र, तेलंगाना, और गुजरात। मुंबई नगर निगम ने इससे 18 हजार करोड़ रुपए, पुणे ने 4,300 करोड़ रुपए और सूरत ने 1,000 करोड़ रुपए की कमाई की है।

पृष्ठभूमि:

  • टीडीआर पॉलिसी की आवश्यकता: शहर में मास्टर प्लान की सड़कों और विकास कार्यों के लिए निगम ने जमीन अधिग्रहित की लेकिन इसके एवज में कोई राशि नहीं दी गई। टीडीआर पॉलिसी का उद्देश्य प्रभावितों को उचित मुआवजा प्रदान करना है।