सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : एसजीटी विश्वविद्यालय में “AI के युग में HR की पुनः कल्पना” विषय पर विशेष एचआर मीट का आयोजन
एसजीटी विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय (Faculty of Commerce and Management) और कॉरपोरेट कनेक्ट सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से “AI के युग में HR की पुनः कल्पना” विषय पर एक विशेष एचआर मीट का सफल आयोजन किया गया। इस आयोजन में देश के प्रमुख कॉरपोरेट नेताओं ने भाग लिया और यह समझने का प्रयास किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) किस प्रकार मानव संसाधन उद्योग को नया स्वरूप दे रही है।
एसजीटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) हेमंत वर्मा ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “एचआर विभाग संभवतः किसी भी संगठन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो न केवल वर्तमान को प्रभावित करता है, बल्कि भविष्य का भी निर्धारण करता है।” उन्होंने सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए उनके अनुभव से सीखने की उत्सुकता व्यक्त की।
प्रो-वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) जवाहर मल जांगिड़ ने अपने संबोधन में एचआर की भूमिका में तकनीक-प्रेरित रणनीतिक बदलावों की चर्चा की और उद्योग तथा अकादमिक जगत के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. कीर्ति दत्ता, डीन, एफसीएएम, ने कहा कि अब “ह्यूमन एआई रिसोर्सेज” का युग प्रारंभ हो चुका है और उन्होंने एक जॉब-रेडी वर्कफोर्स के निर्माण में इंडस्ट्री की साझेदारी के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में दो अलग-अलग पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं, जिनमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों के एचआर विशेषज्ञों ने भाग लिया।
पहले पैनल का विषय था “एचआर का बदलता चेहरा – एआई एक गेम चेंजर के रूप में”। इस सत्र में सुश्री सोनल कपूर सिन्हा (Esme Consumer), कर्नल तरुण वोहरा (Lumax Industries Ltd.), श्री प्रदीप पांडे (Grant Thornton) और श्री हर्ष प्रिया आर्य (Jay Bharat Maruti Ltd.) शामिल हुए। पैनल का संचालन श्री सिद्धांत चंदेल (ISDC) ने किया। चर्चा में सभी विशेषज्ञों ने साझा किया कि वे किस प्रकार अपने एचआर कार्यों में नवीनतम एआई और एनालिटिक्स टूल्स का उपयोग कर रहे हैं।
ग्रांट थॉर्नटन के पार्टनर श्री प्रदीप पांडे ने कहा,
“टूल्स और तकनीकें, जिनमें एआई शामिल है, हमारी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। आज के समय में संगठन ऐसे व्यक्तियों की तलाश करते हैं जो सीख सकें, अनुकूल हो सकें और अपने कौशल को तकनीकी परिवर्तनों के अनुरूप निखार सकें — यही संगठनात्मक विकास और सफलता की कुंजी है।”
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