भोपाल । अगले कुछ दिनों से प्रदेश के कई जिलों में गुपचुप बिजली कटौती की जा रही है। मध्यप्रदेश बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर होने के बावजूद यह कटौती की जा रही है। बिजली आपूर्ति टुकड़े में की जा रही है, इससे ग्रामीण परेशान हैं। कटौती से जिला व तहसील मुख्यालयों को छूट है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में डेढ़ घंटे से दो घंटे तक बिजली बंद की जा रही है। कटौती करने की वजह कोयला की कमी के कारण बिजली उत्पादन गड़बड़ाना बताया जा रहा है। प्रदेश में करीब 10 हजार 600 मेगावाट बिजली की जरूरत है। दो दिन से आठ हजार मेगावाट बिजली ही मिल रही है। मांग के अनुरूप करीब दो हजार मेगावाट बिजली कम मिल रही है। हालांकि, प्रदेश में बिजली उत्पादन की क्षमता करीब 25 हजार मेगावाट है जो सरकारी व निजी प्लांट मिलकर करते हैं।बता दें कि भोपाल ग्रामीण समेत मध्य क्षेत्र के विदिशा, राजगढ़, सीहोर, होशंगाबाद, बैतूल, रायसेन समेत तमाम जिलों में शनिवार तड़के से बिजली बंद की जा रही है। इसके पहले शुक्रवार शाम को भी इन जिलों में बिजली बंद की गई थी। मध्य क्षेत्र में जिलों को चार समूह में बांटा गया है। प्रत्येक समूह में शामिल जिलों में अलग-अलग समय में बिजली काटी जा रही है। शनिवार शाम तक होशंगाबाद में 8.30 घंटे, विदिशा शनिवार शाम तक 6.33 घंटे, बैतूल में 6.30 घंटे और राजगढ़ में पांच घंटे बिजली बंद रही है। इसी तरह प्रत्येक जिलों में बिजली बंद की जा रही है। सूत्रों की माने तो पावर प्लांटों को कोयला पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है। कंपनियों द्वारा भुगतान नहीं कर पाना बताया जा रहा है। कंपनी के कुछ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें भी शासन से सब्सिडी की राशि नहीं मिल रही है। सिंगाजी पावर प्लांट में 600 मेगावाट, सारनी में 210 मेगावाट और बिरसिंहपुर पावर प्लांट में उत्पादन कम हुआ है। बारिश थमने और बांधों के खाली रहने के कारण हाईड्रल प्लांटों को चालू नहीं कर पा रहे हैं। इस बारे में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है ‎कि प्रदेश में पर्याप्त बिजली है। कटौती का सवाल ही नहीं है। फिर भी यदि किसी जिले में कटौती हो रही है तो वजह बताकर निर्बाध आपूर्ति कराई जाएगी। बिजली आपूर्ति में कोई अड़चन नहीं आने देंगे।