सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की उपस्थिति भारत-पाक संबंधों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह लगभग एक दशक बाद किसी भारतीय मंत्री का पाकिस्तान दौरा है, जो दोनों देशों के बीच गहरे तनाव के बावजूद कूटनीतिक स्तर पर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

भारत ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए अपनी क्षेत्रीय भूमिका को मजबूत किया है। शिखर सम्मेलन का मुख्य एजेंडा आतंकवाद, क्षेत्रीय स्थिरता, और व्यापार सहयोग रहा, जिसमें भारत ने अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से रखा, विशेष रूप से पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के बारे में। भारत ने वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रत्यक्ष द्विपक्षीय वार्ता से बचने की कोशिश की है।

इस दौरे को पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के प्रयास के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे बहुपक्षीय मंचों पर अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के रूप में समझा जाना चाहिए। एससीओ मंच का उपयोग करते हुए भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए अपनी वैश्विक छवि को और स्पष्ट किया है। इसके साथ ही, भारत मध्य एशिया और रूस-चीन के साथ संबंधों को संतुलित करने की भी कोशिश कर रहा है।

चूंकि द्विपक्षीय संबंध फिलहाल तनावपूर्ण हैं, इसलिए इस शिखर सम्मेलन से किसी बड़ी कूटनीतिक सफलता की उम्मीद नहीं की जा रही है। हालाँकि, यह सम्मेलन भविष्य में संवाद की संभावनाओं को बनाए रखने में सहायक हो सकता है। भारत-पाकिस्तान संबंधों में ठोस प्रगति तभी संभव होगी जब दोनों देश सीधे वार्ता करेंगे, जो फिलहाल संभव नहीं दिखता।

एससीओ का यह मंच भारत के लिए बड़ा महत्व रखता है। यह न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक मंचों पर अपनी कूटनीतिक भूमिका को भी बढ़ाने का एक अवसर प्रदान करता है। भले ही पाकिस्तान के साथ संबंध सुधार की संभावनाएं कम हों, इस शिखर सम्मेलन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि क्षेत्रीय कूटनीति में भारत की भूमिका अनिवार्य और प्रभावी है।

अंततः, यह सम्मेलन भारत की रणनीतिक स्थिति को स्पष्ट करता है, जहाँ वह बहुपक्षीय मंचों पर अपनी वैश्विक कूटनीति को मजबूत कर रहा है, भले ही पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता में प्रगति धीमी हो। एससीओ शिखर सम्मेलन का भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए कूटनीतिक महत्व है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या यह भविष्य के लिए कोई सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा या सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा।

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