जोहानिसबर्ग । घातक वायरस कोरोनो के नए स्वरूप ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में कोहराम मचा रखा है इसकी संक्रमण दर में तेजी से इजाफा हो रहा है, लेकिन कोविड-19 की पिछली लहरों की तुलना में कम लोगों की मौत हुई है या फिर उन्हें अस्पताल में इलाज की आवश्यकता भी कम पड़ी है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) के मिशेल ग्रोम ने कहा कि बुधवार को दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने के बाद महामारी में देश में अब तक के सबसे अधिक संक्रमण दर्ज किए गए।

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी नहीं हो रही है।’ एनआईसीडी की एक अन्य सदस्य वसीला जसत ने कहा कि ‘रोजाना आने वाले कोरोना के मामलों में हम कुछ वृद्धि देख रहे हैं, लेकिन उसके मुकाबले मौतों में कम वृद्धि हुई है।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की संख्या भी पिछली लहर की तुलना में कम थी’ जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता हो।

ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में खांसी और गले में खराश के हल्के लक्षण होते हैं। सीईओ डॉ. रयान नोच ने कहा कि सबसे आम शुरुआती संकेत गले पर खराश के निशान थे। इसके बाद नाक का भरा होना, सूखी खांसी और पीछे के निचले हिस्से की मांसपेशियों में दर्द ओमिक्रॉन के संकेत थे। डॉ. नोच ने कहा कि इनमें से अधिकतर लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि ओमिक्रॉन कम घातक है।

इस बीच, एक अध्ययन में यह कहा गया है कि कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन स्वरूप, डेल्टा और कोविड-19 के मूल स्वरूप की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है, लेकिन इससे होने वाले रोग की गंभीरता काफी कम है। हांगकांग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ओमिक्रॉन, डेल्टा और मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है। अध्ययन से यह भी प्रदर्शित होता है कि फेफड़े में ओमिक्रॉन से संक्रमण मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में काफी कम है, जिससे रोग की गंभीरता कम होने का संकेत मिलता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘ओमिक्रॉन’ वेरिएंट कई बार उत्परिवर्तन (म्यूटेंस) का नतीजा है। कोविड के अधिक संक्रामक स्वरूप बी.1.1.1.529 के बारे में पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सूचित किया गया था। इसके बाद बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग, इजरायल, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, नीदरलैंड, जापान, जर्मनी और फ्रांस सहित कई देशों में भी इसकी पहचान की गई है। ओमिक्रॉन को कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों में सबसे खतरनाक माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने 26 नवंबर को इसे ‘चिंताजनक’ स्वरूप बताते हुए ओमिक्रॉन नाम दिया। ‘चिंताजनक स्वरूप’ डब्ल्यूएचओ की कोरोना वायरस के ज्यादा खतरनाक स्वरूपों की शीर्ष श्रेणी है। कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट को भी इसी श्रेणी में रखा गया था।