आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के हेलिकॉप्टर शॉट की दीवानी तो पूरी दुनिया है। यह शॉट एक्सट्रा ऑर्डिनरी पावर और स्किल का कॉम्बिनेशन है।

साइंस ऑफ क्रिकेट सीरीज में आज जानेंगे, धोनी के हेलिकॉप्टर शॉट के पीछे के साइंस को। ग्राफिक्स के जरिए समझिए इस साइंस को….

क्या होता है हेलिकॉप्टर शॉट?

यह शॉट पैरों और विकेट्स के पास गिरने वाली यॉर्कर लेंथ बॉल पर खेला जाता है। ऐसा माना जाता है कि इंटरनेशनल क्रिकेट में धोनी इस शॉट को लेकर आए थे। इसे हेलिकॉप्टर शॉट इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें बैट को हेलिकॉप्टर के पंखे की तरह घुमाया जाता है।

हेलिकॉप्टर शॉट के पीछे का साइंस

भास्कर एक्सपर्ट डॉ. दीपक डोगरा बताते हैं कि, हेलिकॉप्टर शॉट में आंखों और हाथ के सही तालमेल यानी हैंड-आई कोऑर्डिनेशन और बैलेंस के साथ डबल पेंडुलम और काइनेटिक एनर्जी का साइंस काम करता है।

कंधे से कलाई तक एक पेंडुलम बनता है और दूसरा पेंडुलम कलाई से बल्ले के स्वीट स्पॉट के साथ बनता है। यानी बल्ले का सबसे मोटा हिस्सा जहां से बॉल टकराने के बाद, तेजी से बाउंड्री की तरफ जाती है। इसके साथ ही, बल्लेबाज 360 डिग्री यानी एक सर्कल के आकार में बैट घुमाते हैं।

इससे शॉट को मिलने वाली पावर और बढ़ जाती है। एनर्जी शरीर के निचले हिस्सों से होती हुई ऊपरी हिस्सों तक पहुंचती है, जो आगे कलाई और बल्ले तक पहुंचती है। ऐसे काम करती है काइनेटिक लिंकिंग ऑफ ह्यूमन बॉडी।

अपने स्किल के दम पर धोनी हैं बेस्ट फिनिशर

धोनी ने बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज, भारत के लिए सबसे ज्यादा 17,266 रन बनाए हैं। अपनी 84 टी-20 पारियों में वो एक भी बार डक यानी जीरो पर आउट नहीं हुए।