आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : 20 फीट की दूरी से थ्रो, सीधा स्टंप्स पर और बल्लेबाज मैदान से बाहर। फील्ड पर अक्सर जडेजा को आपने ऐसा करते देखा होगा।
चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तानी बल्लेबाज शोएब मलिक जडेजा के बुलेट थ्रो का शिकार हुए थे। क्या है इस स्किल के पीछे साइंस।
साइंस ऑफ क्रिकेट के इस एपिसोड में बात फील्डिंग की इस स्किल पर …
बॉल थ्रो में कौन सा साइंस?
थ्रो करने में लागू होता है गति का नियम एक नियम- प्रोजेक्टाइल मोशन लॉ। जब हम किसी चीज को जमीन के पैरेलल फेंकते हैं, तो वो कितनी दूर जाएगी.. ये फेंकने के एंगल, फोर्स और ग्रैविटी पर डिपेंड करता है।
नियम कहता है कि एंगल बदलते ही दूरी भी बदल जाती है। ये असर 45 डिग्री तक सबसे ज्यादा दिखता है, लेकिन एंगल बढ़ने पर दूरी घट जाती है।
ये साइंस केवल विराट या जडेजा के थ्रो पर ही नहीं, ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के जेवलिन थ्रो पर भी लागू होता है।
साइंस काम कैसे करता है?
फील्ड में 2 तरह के थ्रो देखने को मिलते हैं। एक बहुत तेज और दूसरा आराम से। ये कंडीशन पर डिपेंड करता है।
जब फील्डर को लगता है कि बल्लेबाज आसानी से रन पूरा कर लेगा तो वो आराम से थ्रो फेंकता है… करीब 60 डिग्री पर।
लेकिन जब रन आउट के चांस ज्यादा होते हैं तो ये एंगल 30 डिग्री तक घट जाता है। यहां गेंद तो उतनी ही दूरी तय करती है, लेकिन कम डिग्री के चलते गेंद का फ्लाइट टाइम यानी हवा में रहने का वक्त घट जाता है और गेंद तेजी से विकेट तक पहुंचती है।
जडेजा के थ्रो में खास क्या?
जडेजा 30 यार्ड के सर्कल में अमूमन पॉइंट पर फील्डिंग करते हैं। उनका रिएक्शन टाइम कम होता है। जडेजा 45 डिग्री से कम एंगल पर थ्रो मारते हैं, इससे फ्लाइट टाइम घटता है और गेंद जल्दी स्टंप्स तक पहुंचती है। जडेजा जब गेंद को रिलीज करते हैं तो स्पीड 26 मीटर/सेकेंड रहती है यानी गेंद एक सेकेंड से भी कम समय में स्टंप्स को हिट करती है।
इस एपिसोड में हमने जाना थ्रो फेंकने का साइंस। साइंस ऑफ क्रिकेट के अगले एपिसोड में बात कवर ड्राइव में लागू होने साइंस की और उस खिलाड़ी की, जिसका ये शॉट दुनियाभर में मशहूर है। जुड़े रहिए दैनिक भास्कर एप पर