भोपाल।  मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के विज्ञान भवन स्थित सभागार में मंगलवार को सम्पन्न “साइंस कम्युनिकेशन और पुस्तकालयों की भूमिका” विषय पर  एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार में  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा है कि तेजी से बदलती तकनीक और गूगल के दौर में पुस्तकालय की भूमिका अहम् हो गई है। उन्होंने कहा कि पुस्तकालयों को प्रौद्योगिकी के इस युग में नई चुनौतियों का सामना करते हुए अपने अस्तित्व को बनाये रखना है।

श्री सखलेचा ने कहा कि पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान और उसमें हो रहे अनुसंधानों का विशाल भंडार हैं। यहां पर समाज के सभी वर्गों की पहुँच सुगम बनाने की जरूरत है। उन्होंने पुस्तकालयों के विकास में शासन द्वारा सहयोग का आश्वासन भी दिया।

मध्यप्रदेश लाइब्रेरी एसोसिएशन द्वारा ओपन साइंस कम्युनिकेशन एवं इसमें पुस्तकालय की भूमिका पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। संगोष्ठी में  मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा द्वारा  पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुस्तकालयविदों को सम्मानित किया गया।

परिषद् के महानिदेशक डॉ.अनिल कोठारी ने  कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पहचान केवल शिक्षा के केंद्र के रूप में ही नहीं बल्कि वहां के समृद्ध पुस्तकालय से होती थी। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ ही पुस्तकालय का ओपन सोर्स के रूप में उपयोग होने लगा है। डॉ. कोठारी ने कहा कि साइंस कम्युनिकेशन के माध्यम से ज्ञान-विज्ञान के प्रभावी प्रसार की आवश्यकता है।

सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो.के.जी.सुरेश ने ओपन साइंस कम्युनिकेशन और इंटरनेट के दौर में लाइब्रेरीज की मौजूदा चुनौतियों को रेखांकित किया।

मध्यप्रदेश माध्यम के ओएसडी डॉ. पुष्पेंद्र पाल सिंह ने कहा कि वर्तमान दौर में ओपन साइंस और पुस्तकालयों दोनों की भूमिका को एक साथ मिलाकर देखना प्रासंगिक है। कार्यक्रम का संचालन परिषद् की कनिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. साधना सक्सेना ने किया।