सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना, स्टोर करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पादरीवाला की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के हालिया फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड और देखने पर इसे अपराध नहीं माना जा सकता, जब तक कि इसे प्रसारित करने की नीयत न हो।

जस्टिस जेबी पादरीवाला ने संसद से अनुरोध किया कि “चाइल्ड पोर्नोग्राफी” की जगह “चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉइटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल” शब्द का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने केंद्र सरकार से इसे अध्यादेश लाकर लागू करने की मांग की और अदालतों को भी इस शब्द के उपयोग से बचने का सुझाव दिया।

इससे पहले, केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील सामग्री देख रहा है, तो यह अपराध नहीं है, लेकिन यदि वह इसे दूसरों को दिखाता है, तो यह गैरकानूनी होगा। मद्रास हाईकोर्ट ने इसी आधार पर एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था, जिसके बाद NGO जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केरल और मद्रास हाईकोर्ट के आदेशों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

भारत में ऑनलाइन पोर्नोग्राफी देखना गैर-कानूनी नहीं है, लेकिन इसके निर्माण, प्रकाशन और प्रसार पर पाबंदी है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामलों में सख्ती बरती जाएगी, और बच्चों के संरक्षण के लिए कानून को सख्त तरीके से लागू किया जाएगा।