सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एक्ट्रेस पत्रलेखा हाल ही में अपनी वेब सीरीज ‘IC- 814 कंधार हाईजैक’ की रिलीज के बाद सुर्खियों में हैं। इसके बाद, वह अपनी अगली फिल्म ‘महात्मा फुले’ की तैयारी कर रही हैं, जो अगले साल रिलीज होगी। इस बायोपिक में वह सावित्रीबाई फुले का किरदार निभा रही हैं।
हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, एक्ट्रेस ने दोनों प्रोजेक्ट्स – ‘IC- 814 कंधार हाईजैक’ और ‘महात्मा फुले’ में काम करने के अनुभव शेयर किए। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
फिल्म ‘फूले’ की शूटिंग पूरी हो चुकी है। इस बायोपिक में काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?
अनुभव बहुत अलग और खास था। यह फिल्म महात्मा फुले पर आधारित एक बायोपिक है। इसमें सावित्रीबाई फुले का किरदार निभाना मेरे लिए एक बड़ा सम्मान है। फिल्म में एक्टिंग स्टाइल्स, पर्सनालिटीज और एक्टर्स सभी अलग थे। प्रतीक गांधी जैसे शानदार कलाकार के साथ काम करना बेहद खास था। महात्मा फुले और सावित्रीबाई रिफॉर्मर्स थे, उनका सोचने का तरीका हमारे आज के समाज से कहीं आगे था। उन्होंने देश, बच्चों और खासकर लड़कियों के लिए जो काम किया, वह बहुत प्रेरणादायक है। इस फिल्म से मुझे बहुत ताकत मिली।
आपको सावित्रीबाई फुले का किरदार निभाने का मौका मिला, कैसा लगा?
यह मेरे लिए गर्व का पल था। जब मैंने अपनी मां को बताया कि मुझे सावित्रीबाई फुले का रोल मिला है, तो वह सबसे ज्यादा खुश हुईं। यह किरदार निभाना मेरे लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि उनके बारे में हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं।
इस किरदार के बारे में काफी कुछ लिखा गया है, लेकिन पर्सनालिटी को समझना अलग बात है। आनंद सर, जो हमारे डायरेक्टर हैं, उन्होंने बहुत ही सादगी और प्यार से स्क्रिप्ट लिखी। हमने रीडिंग और रिसर्च के लिए काफी समय लगाया। पूरी टीम के साथ बैठकर हर पहलू पर गहराई से विचार किया। स्क्रिप्ट इतनी अच्छी तरह से लिखी गई थी कि काम बहुत आसान हो गया।
शूटिंग का शेड्यूल कैसा था?
फिल्म का शेड्यूल दो महीने का था, और यह काफी कंटिन्यूअस था। हमने भोर, पूना और सतारा जैसी जगहों पर शूटिंग की। हर सीन को बहुत मेहनत और प्यार से फिल्माया गया।
इस फिल्म से क्या मैसेज देना चाहती हैं?
सबसे बड़ा संदेश यह है कि सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले की कहानी हर किसी तक पहुंचनी चाहिए। महाराष्ट्र और गोवा में लोग उन्हें जानते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि नॉर्थ ईस्ट या तमिलनाडु के बच्चे उनके बारे में जानते हैं। यह इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और मैं चाहती हूं कि यह हर बच्चे तक पहुंचे। उन्होंने जो विज़न देखा, वह आज भी हमारे समाज को आगे ले जा सकता है, खासकर महिलाओं के लिए।