संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 79वें सत्र में भारतीय राजनयिक भविका मंगलानंदन ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाने पर एक सशक्त और तीखा जवाब दिया। उनके इस भाषण ने पाकिस्तान की दोहरी नीतियों और आतंकवाद को प्रोत्साहन देने की भूमिका पर कड़ा प्रहार किया। यह घटना अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बढ़ती कूटनीतिक शक्ति और आक्रामक नीति का परिचायक है, जिससे यह साफ हो गया कि भारत अब किसी भी देश द्वारा झूठे आरोपों को चुपचाप सहन नहीं करेगा।
पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश करता रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस साल भी संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में कश्मीर पर भारत के खिलाफ बयान दिया। हालांकि, यह पाकिस्तान की पुरानी नीति का ही हिस्सा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। अधिकांश देश इस मुद्दे को द्विपक्षीय मामला मानते हैं, जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच ही सुलझाया जाना चाहिए। पाकिस्तान का इस मुद्दे को बार-बार उठाना न केवल उसकी कूटनीतिक कमजोरी को दर्शाता है, बल्कि उसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी कमजोर करता है।
भविका मंगलानंदन ने पाकिस्तान को “दोहरे चरित्र” वाला देश बताया, जो एक तरफ खुद आतंकवाद को बढ़ावा देता है और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की मांग करता है। उन्होंने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के हनन का भी उल्लेख किया, जिससे पाकिस्तान की आंतरिक नीतियों की असलियत सामने आई। मंगलानंदन का जवाब भारत के कूटनीतिक रुख को मजबूत बनाता है, जहां वह अपने राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता की रक्षा के लिए हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से खड़ा है।
भारत के इस कड़े जवाब ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा। कई विशेषज्ञों ने इसे भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा, जहां उसने पाकिस्तान के आरोपों को न केवल खारिज किया, बल्कि उसके खुद के दोहरे मानदंडों को भी उजागर किया। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि वैश्विक स्तर पर अब पाकिस्तान की रणनीति कारगर नहीं हो रही है और वह कूटनीतिक रूप से अलग-थलग होता जा रहा है।
इस घटनाक्रम से यह भी साफ होता है कि भारत अब वैश्विक मंचों पर अपने विरोधियों के आरोपों का जवाब सटीक और प्रभावी तरीके से देने में सक्षम है। चाहे वह पाकिस्तान की आतंकवाद को लेकर दोहरी नीति हो या कश्मीर मुद्दे पर उसका झूठा प्रचार, भारत अब हर आरोप का दृढ़ता से मुकाबला कर रहा है।
भविका मंगलानंदन का संयुक्त राष्ट्र में दिया गया यह बयान भारत की कूटनीति का एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिससे यह संदेश स्पष्ट हो गया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है और उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी मिल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का यह मजबूत रुख न केवल कश्मीर पर उसकी नीति को दोहराता है, बल्कि पाकिस्तान को यह भी याद दिलाता है कि वह अब पुराने तरीकों से इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं उठा सकता। भविष्य में भारत की कूटनीति और भी आक्रामक और स्पष्ट होगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि उसके हितों की रक्षा हर संभव स्तर पर हो सके।