सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: क्या एक शांत सुबह अचानक हिंसा में बदल सकती है? संभल की गलियों में जो हुआ, उसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। आइए जानते हैं उस सुबह की पूरी कहानी, जिसने सबकुछ बदल कर रख दिया।”
सुबह का सन्नाटा और प्रशासनिक हलचल
सुबह के 6 बजे, जब शहर संभल अभी जागा भी नहीं था, जामा मस्जिद के पास अचानक हलचल शुरू हो गई। प्रशासन की एक टीम, जिसमें डीएम, एसपी और अधिकारी शामिल थे, मस्जिद का सर्वे करने पहुंची। उनका इरादा चुपचाप प्रक्रिया पूरी करने का था, लेकिन वो नहीं जानते थे कि यह सुबह पूरे शहर की फिजा को बदल देगी।
मस्जिद के पास रहने वाले स्थानीय निवासियों ने जैसे ही टीम को देखा, सवाल उठने लगे।
“इतनी सुबह सर्वे क्यों हो रहा है?”
धीरे-धीरे लोग जुटने लगे। पहले 10, फिर 100 और फिर 1000 से ज्यादा लोग मस्जिद के बाहर इकट्ठा हो गए।
आस्था और आक्रोश का टकराव
लोगों के बीच गुस्सा बढ़ने लगा।
“हमारे धार्मिक स्थल का सम्मान करो,” भीड़ में से आवाजें उठीं।
प्रशासन की समझाइश किसी के गुस्से को शांत नहीं कर पाई। स्थिति और बिगड़ गई, जब कुछ लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी।
पुलिस की चेतावनी भी बेअसर रही। भीड़ उग्र हो चुकी थी। पत्थर हवा में उड़ने लगे, पुलिस ने अपनी ढालों से बचाव किया, लेकिन हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।
हिंसा का भड़कना
एसपी ने खुद सामने आकर भीड़ को शांत करने की कोशिश की।
“नेताओं के चक्कर में मत पड़ो। ये तुम्हारा भविष्य बर्बाद कर देंगे,” उन्होंने कहा।
लेकिन गुस्साई भीड़ उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थी।
पुलिस की एक गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया। भगदड़ मच गई। कुछ लोगों ने मस्जिद में घुसने की कोशिश की। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस छोड़ी।
सर्वे की असलियत
प्रशासन का कहना था कि यह सर्वे केवल एक औपचारिक प्रक्रिया थी, जिसे विवाद से बचाने के लिए सुबह किया गया। लेकिन स्थानीय समुदाय ने इसे अपनी धार्मिक आस्था पर चोट के रूप में देखा।
इस पूरी घटना की जड़ संवाद की कमी थी। प्रशासन ने स्थानीय निवासियों को विश्वास में नहीं लिया, जिससे गुस्से और गलतफहमियों ने हिंसा का रूप ले लिया।
नेताओं की भूमिका और राजनीतिक उकसावा
स्थानीय नेताओं ने इस मौके को भड़काने के लिए इस्तेमाल किया। उकसाने वाले भाषणों ने हालात और बिगाड़ दिए।
यह घटना प्रशासन, समुदाय और नेताओं के बीच आपसी विश्वास के टूटने की कहानी बन गई।
भविष्य की सीख
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया:
“क्या बेहतर संवाद और विश्वास से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है?”
यह सोच ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का रास्ता दिखा सकती है।