सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इंग्लैंड के बल्लेबाज जो रुट ने श्रीलंका के खिलाफ हो रही टेस्ट सीरीज के दूसरे मैच में अपने करियर का 33वां शतक लगा दिया। उन्होंने 143 रन की पारी खेली।

पहले ही ऐसी बात होती आ रही है की जो रुट टेस्ट क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के सबसे ज्यादा रन का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। 144 टेस्ट में 12,131 रन बना चुके रुट अब सचिन तेंदुलकर से 3,790 रन पीछे हैं। सचिन जब रिटायर हुए तो उनके रिकॉर्ड और कीर्तिमान अटूट माने जाते थे। हालांकि, वनडे वर्ल्ड कप में विराट कोहली ने 50वां वनडे शतक जमाकर बता दिया कि रिकॉर्ड बनते ही टूटने के लिए हैं।

जो रूट फिलहाल 144 टेस्ट (श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट तक) में 50.33 के औसत से 12,131 रन बना चुके हैं और करियर के इस पड़ाव पर फिलहाल सचिन से आगे चल रहे हैं। करियर के 144 टेस्ट मैचों के बाद सचिन ने 11,532 रन बनाए थे।

सचिन ने अपना करियर 200 मैचों में 15,921 रन के साथ समाप्त किया था। ऐसे में अगर मानकर चलें कि रूट भी अपना करियर 200 टेस्ट मैचों तक खींच पाते हैं और मौजूदा औसत से हर पारी में लगभग 50 रन बनाते हैं तो वे अगली 75 पारियों यानी लगभग 38 टेस्ट मैचों में सचिन का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं। वह उनके करियर का 182वां टेस्ट होगा। रूट के पास सचिन को अर्धशतक में भी पीछे छोड़ने का मौका है। रूट के 64 अर्धशतक हो चुके हैं। वे सचिन 68 से मात्र 4 कदम दूर हैं।

144वें टेस्ट के समय सचिन 35 साल के थे

रूट के पास सचिन के सर्वाधिक रन के साथ-साथ सर्वाधिक टेस्ट खेलने का रिकॉर्ड तोड़ने का मौका भी है। रूट अभी 33 साल के हैं जबकि 2008 में 144वें टेस्ट के समय सचिन की उम्र 35 साल थी। रूट अगर सचिन की तरह 39 की उम्र तक खेल पाते हैं और हर साल 10 टेस्ट भी खेलते हैं, तो भी वे 60 से ज्यादा टेस्ट मैच खेल सकेंगे। ऐसा होना इसलिए भी संभव है क्योंकि इंग्लैंड हर साल अन्य टीमों से ज्यादा टेस्ट खेलता है। मौजूदा दशक में इंग्लैंड हर साल औसतन 11 टेस्ट खेल रहा है।

सचिन तेंदुलकर के शतकों का रिकॉर्ड तोड़ना मुश्किल

रूट भले ही सचिन के सर्वाधिक मैचों और रनों का रिकॉर्ड तोड़ने के करीब हैं, लेकिन उनके 51 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ना मुश्किल हो सकता है। रूट फिलहाल 32 शतकों पर हैं और औसतन हर 4.5 मैच में एक शतक बना रहे हैं। इस दर से उन्हें सचिन को पछाड़ने के लिए 90 मैच खेलने पड़ सकते हैं और उस स्थिति में करियर को लगभग 8 साल खींचना होगा।