सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : यूक्रेन जंग के समाधान पर सऊदी अरब में रूस और अमेरिका के बीच हाई लेवल मीटिंग शुरू हो गई है। इस मीटिंग में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल हुए है। दोनों सोमवार को राजधानी रियाद पहुंचे थे।

रूस की तरफ से लावरोव के अलावा पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव और अमेरिकी डेलिगेशन में रुबियो के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर (NSA) माइकल वॉल्ट्ज और यूक्रेन और रूस के लिए वाशिंगटन के विशेष दूत विट कॉफ भी शामिल होने पहुंचे हैं।

इस बीच रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत के लिए तैयार हैं। हालांकि, सवाल ये है कि क्या जेलेंस्की सही मायनों में यूक्रेन के राष्ट्रपति हैं?

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव। फाइल फोटो
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव। फाइल फोटो

दावा- मीटिंग में जेलेंस्की को नहीं बुलाया यूक्रेन जंग पर शांति वार्ता के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को नहीं बुलाया गया है। BBC न्यूज ने यूक्रेन सरकार के एक सीनियर अधिकारी के हवाल से इसकी पुष्टि की है। इससे पहले अमेरिका के विशेष दूत कीथ केलॉग ने यूक्रेन के शामिल होने की बात कही थी।

BBC के मुताबिक यूक्रेन को अभी तक वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। यूरोपीय देशों के नेताओं को भी इस वार्ता में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया गया है। वार्ता से यूरोप को बाहर रखने की आशंका के चलते फ्रांस के राष्ट्रपति ने सोमवार को शिखर सम्मेलन का आयोजन रखा था। इसमें यूरोपीय देशों के नेता शामिल हुए।

यूक्रेन जंग पर समाधान के लिए पहले भी कई कोशिशें की गई है।

मैक्रों ने जंग पर ट्रम्प और जेलेंस्की से बात की

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को यूक्रेन जंग के मसले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ​​​​​से बात की।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए मैक्रों ने लिखा-

यूरोपीय नेताओं को एक साथ लाने के बाद, मैंने राष्ट्रपति ट्रम्प और फिर राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात की। हम यूक्रेन में स्थायी शांति चाहते हैं। इसे हासिल करने के लिए, रूस को अपनी आक्रामकता समाप्त करनी होगी, और इसके साथ ही यूक्रेन के लिए विश्वसनीय सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करनी होगी। नहीं तो सीजफायर मिंस्क समझौतों की तरह ही नाकाम हो सकता है।

मैकों ने यूरोपीय देशों, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को प्राथमिकता बताया।
मैकों ने यूरोपीय देशों, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को प्राथमिकता बताया।

यूक्रेन में सेना भेजने काे तैयार ब्रिटिश पीएम

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर जंग के बीच यूक्रेन में सेना भेजने के लिए तैयार हैं। स्टार्मर ने सोमवार को कहा कि वह शांति समझौते के तहत यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी के देने के लिए सेना भेजने को तैयार हैं।

डेली टेलीग्राफ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि,

मैं यह बात हल्के में नहीं कह रहा हूं। मैं इसे गहराई समझता हूं कि, इसमें ब्रिटिश सैनिकों के लिए खतरे की आशंका भी है।

स्टार्मर का ये बयान सोमवार को पेरिस में यूरोपीय नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले आया।

ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने 16 जनवरी को कीव में यूक्रेनी राष्ट्रपति से मुलाकात की थी।
ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने 16 जनवरी को कीव में यूक्रेनी राष्ट्रपति से मुलाकात की थी।

सऊदी अरब में ही क्यों हो रही पीस डील?

इस पीस डील में सऊदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) देश का नेतृत्व करेंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा सऊदी वो जगह है जो अमेरिका और रूस दोनों के बीस बातचीत के लिए सही है।

CNN के मुताबिक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान तेल पर निर्भर सऊदी की इकोनॉमी और इसके कट्टरपंथी इस्लामिक इतिहास को बदलने के मिशन पर हैं, जिससे सऊदी दुनिया भर में सॉफ्ट पावर बनकर उभरे। फिलहाल वो इस मिशन में कामयाब होते दिख रहे हैं।

सऊदी में विदेश मामलों के जानकार अली शिहाबी के मुताबिक क्राउन प्रिंस के पुतिन और ट्रम्प दोनों से अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं। इस पीस डील में उनके होने में राष्ट्रपति ट्रम्प की बड़ी भूमिका है। दरअसल, ट्रम्प हमेशा से ही क्राउन प्रिंस का समर्थन करते आए हैं। 2018 में जब सऊदी एजेंट्स ने पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या कर दी थी और क्राउन प्रिंस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरस्कार झेलना पड़ा था, तब भी ट्रम्प ने उनका समर्थन किया था।

2017 में जब ट्रम्प पहली बार राष्ट्रपति चुने गए तब अपने पहले विदेश दौरे पर सऊदी अरब पहुंचे थे। साल 2020 में जब वो चुनाव हार गए तब भी सऊदी अरब ने ट्रम्प के साथ बिजनेस करना जारी रखा। सऊदी अरब ने ट्रम्प के दामाद जेरेड कुशनर के फर्म में दो अरब डॉलर निवेश किया और किंगडम में ट्रम्प टावर बनाने की भी घोषणा की थी।

क्राउन प्रिंस के संबंध रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भी काफी बेहतर हैं। पुतिन ने भी खगोशी की हत्या के बाद क्राउन प्रिंस का साथ दिया था। यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद सऊदी अरब पर पश्चिमी देशों ने काफी दबाव डाला कि वो रूस को अलग-थलग करने और रूसी तेल की वैश्विक सप्लाई पर नियंत्रण करने में उनका साथ दे। लेकिन सऊदी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। जब 2022 में अमेरिका के तत्कालीन बाइडेन प्रशासन ने उन्हें तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा तब भी उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया था।

डोनाल्ड ट्रम्प 2017 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे थे। सऊदी किंग सलमान के साथ डोनाल्ड ट्रम्प।
डोनाल्ड ट्रम्प 2017 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे थे। सऊदी किंग सलमान के साथ डोनाल्ड ट्रम्प।

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