सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उन्हें बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया जा रहा है। यूक्रेनी सेना के पश्चिमी रूस के कुर्स्क क्षेत्र में हमले के बाद से ये चीजें तेजी से बढ़ी हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सोशल मीडिया पर रूसी जनता की भावनाओं का विश्लेषण करने वाली कंपनी फिल्टरलैब्स AI ने कहा कि कुर्स्क में यूक्रेनी घुसपैठ के बाद पुतिन की लोकप्रियता में गिरावट आई है। यूक्रेनी सेना की घुसपैठ को रूसी सरकार और विशेष रूप से पुतिन की नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस की सरकारी मीडिया ने रूस-यूक्रेन जंग से जुड़ी घटनाओं में पुतिन की छवि सकारात्मक रूप में पेश करने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें नाकाम रहे हैं। सोशल मीडिया पर रूसी नागरिकों ने खुलकर नाराजगी जताई है। लोग पुतिन की युद्ध नीतियों को फेल बताकर उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं।

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प्रिगोजिन के विद्रोह के बाद घटी थी पुतिन की लोकप्रियता

पिछले साल रूस की निजी आर्मी सेना वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोजिन की लीडरशिप में हुए विद्रोह के बाद पुतिन की लोकप्रियता में गिरावट आई थी। हालांकि बाद में पुतिन ने इस पर काबू पा लिया था। अब कुर्स्क में यूक्रेनी सेना को मिल रही सफलता के बाद पुतिन की लोकप्रियता में गिरावट फिर से बढ़ गई है।

यूक्रेन ने ढ़ाई साल में पहली बार 6 अगस्त को रूस पर पलटवार करते हुए उसके इलाके में घुसकर हमला किया था। तब से यूक्रेन दो सप्ताह में रूस के 1263 वर्ग किमी इलाके पर कब्जा कर चुका है। यूक्रेनी सेना कुर्स्क में 28-35 किमी तक अंदर तक घुस चुकी है। अब तक यूक्रेन ने कुर्स्क में 92 गांवों पर कब्जा कर लिया है।

82 साल बाद रूसी इलाके पर कब्जा हुआ, अब युद्ध नीति बदलने की मांग

यूक्रेन का दावा है कि रूस ने 2024 के 8 महीने में जितने इलाके पर कब्जा किया है, उससे ज्यादा जमीन पर यूक्रेन ने 2 हफ्तों में कब्जा कर लिया है। सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद यह पहली बार है जब किसी देश ने रूस के इतने बड़े इलाके पर कब्जा किया है।

यही वजह है कि सोशल मीडिया पर रूसी लोग पुतिन से युद्ध की नीति में बदलाव की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कुर्स्क पर हमले की वजह से लोगों के बीच डर कायम हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी मॉस्को में पुतिन के लिए अभी भी सकारात्मक माहौल है क्योंकि वहां की मीडिया पर सरकार का सख्त नियंत्रण है। वे पुतिन के पक्ष में माहौल बनाते रहते हैं। लेकिन देश के बाकि हिस्से में क्रेमलिन के प्रति निराशा बढ़ती जा रही है।

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस बारे में कहना अभी जल्दबाजी होगी कि पुतिन की छवि को इससे कितना नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि प्रिगोजिन के विद्रोह के वक्त भी पुतिन के लिए कुछ ऐसी ही स्थिति बन गई थी मगर इसे दबाने के बाद उनकी की छवि में तेजी से सुधार हुआ था।