सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : आधुनिकता के आज के दौर में आईओटी सेंसर और नेटवर्क की सहायता से वायु प्रदूषण, जल गुणवत्ता, ध्वनि प्रदूषण, तापमान, और अन्य पर्यावरणीय कारकों की वास्तविक समय में निगरानी बेहतर ढंग से की जा सकती है। इसके साथ ही डाटा का विश्लेषण कर पर्यावरणीय समस्याओं का पूर्वानुमान और समाधान किया जा सकता है।
यह बात एनआईटी मेघालय के इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग में सहायक प्रोफेसर, के पद पर कार्यरत निदेशक शुभंकर मजूमदार ने राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के घटक संस्थान यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) में शुक्रवार को आयोजत एक्सपर्ट लेक्चर के दौरान है। इस एक्सपर्ट लेक्चर का आयोजन कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग एवं आरजीपीवी आईईईई छात्र शाखा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
निदेशक मजूमदार ने इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को भविष्य की तकनीकी प्रवृत्तियों के प्रति सजग रहने और आईओटी के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग जैसी उभरती तकनीकों को एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि कैसे इन तकनीकों का समन्वय पर्यावरणीय संकटों से निपटने में क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
निदेशक शुभंकर मजूमदार खुद यूआईटी आरजीपीवी संस्थान के पूर्व छात्र (एलुमनाई) हैं। उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे इस संस्थान ने उनकी नींव को मजबूत किया और उन्हें तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
इस व्याख्यान में छात्रों और संकाय सदस्यों ने गहरी रुचि दिखाई और अनेक सवाल पूछे, जिससे यह एक संवादात्मक और ज्ञानवर्धक सत्र साबित हुआ।
IoT जैसी अत्याधुनिक तकनीकें न केवल पर्यावरणीय निगरानी में बल्कि आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। खासकर बाढ़ जैसी आपदाओं में आईओटी आधारित सेंसर और डेटा सिस्टम की मदद से त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया संभव हो पाती है, जिससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा में मदद मिलती है। निदेशक पीयूष शुक्ला, समन्वयक व एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग विभाग ये भी रहे उपस्थित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव मोहन सेन, मनीष कुमार अहिरवार विभागाध्यक्ष सीएसई, राजीव पांडेय, कार्यक्रम के सह समन्वयक संजय शर्मा, रणजीत जोशी सहित अनेक संकाय सदस्य व लगभग ३०० छात्र छात्राएं भी मौजूद रहे।