जोहानिसबर्ग । बॉलीवुड फिल्मों से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है, लेकिन भाषा को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त पांच वैश्विक भाषाओं के साथ समुचित स्थान मिलना चाहिए। जोहानिसबर्ग में भारत की महावाणिज्यदूत अंजू रंजन ने विश्व हिंदी दिवस के मौके पर यह बात कही।

विश्व हिंदी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है। 1975 में इस दिन पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुआ था। 2012 में दक्षिण अफ्रीका के हिंदी शिक्षा संघ ने सैंडटन कन्वेंशन सेंटर में सम्मेलन की सह-मेजबानी की थी और सम्मेलन के लिए इस स्थान का नाम गांधीग्राम कर दिया गया था।

स्वयं भी हिंदी में कविताएं और अन्य साहित्यिक कृतियां रच चुकीं रंजन ने कहा कि भारत में हिंदी का जबरदस्त विकास हुआ है, लेकिन दुनियाभर में बड़ी संख्या में हिंदी भाषी लोगों के होने के बावजूद भाषा को वह दर्जा नहीं मिला।

रंजन ने कहा,अंग्रेजी, फ्रेंच, जापानीज, चाइनीज और रशियन को संयुक्त राष्ट्र की पांच प्रमुख भाषाओं के तौर पर मान्यता प्राप्त है और दुनिया में इनमें से कुछ भाषाओं की तुलना में हिंदी बोलने वाले अधिक हैं, तब भी हिंदी उस स्तर तक नहीं पहुंच सकी है।

उन्होंने कहा, हमें हिंदी को इन भाषाओं के समान दर्जा दिलाने के लिए क्रांतिकारी प्रयास करना होगा। राजनयिक ने कहा कि वह दुनिया में जहां भी जाती हैं, विशेष रूप से युवाओं से बातचीत में बॉलीवुड फिल्मों के संवाद सुनने को मिलते हैं। उन्होंने कहा,इंडोनेशिया में मुझे लड़कियां बोलती सुनाई दीं, ‘कुछ कुछ होता है, चीन में लोगों ने पूछा कि क्या मैं ‘चांदनी चौक टू चाइना’ आई हूं।’’