सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में विश्व दिव्यांगता दिवस के अवसर पर “समावेशी और सतत भविष्य के लिए दिव्यांग जनों के नेतृत्व कौशल में वृद्धि” विषय पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के विशेष शिक्षा विभाग द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत
विशेष शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. हेमंत केशवाल ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि भारत में दिव्यांगजनों के लिए विश्व का सबसे उत्तम कानूनी ढांचा उपलब्ध है, लेकिन अधिकांश दिव्यांगजन इन सुविधाओं की पहुंच से दूर हैं। उन्होंने समाज में समानता और दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि का संबोधन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, एम्स भोपाल के मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजेंद्र सिंह ने जानकारी के अभाव को दिव्यांगजनों और उनके पालकों के लिए सबसे बड़ी समस्या बताया। उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारियों और मंदबुद्धिता के इलाज में जागरूकता और पुनर्वास की भूमिका महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर सिंह ने यह भी कहा कि भारत में मानसिक बीमारियों से जूझ रहे 15% लोगों में से 80-85% इलाज के लिए आगे नहीं आते, जो चिंता का विषय है।
दिव्यांगता के प्रति जागरूकता का आह्वान
कार्यक्रम में दिव्यांगजन विभाग के कमिश्नर, श्री संदीप रजक ने कहा कि मध्य प्रदेश में 8 लाख से अधिक लोग दिव्यांगता की श्रेणी में आते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है। उन्होंने अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
न्यूजीलैंड के बाल मनोचिकित्सक डॉ. अशोक अभ्यंकर ने दिव्यांगजनों की संख्या और उनकी चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि बौद्धिक अक्षमता एक गंभीर समस्या है, जिसका निदान अभिभावकों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी से संभव है। उन्होंने अभिभावकों के लिए ऑनलाइन सेमिनार और छोटे पाठ्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया।
कुलगुरु का संबोधन
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु प्रोफेसर संजय तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने विशेष शिक्षा में एम. एड. पाठ्यक्रम शुरू किया है, जो देश में दूसरी बार किसी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जा रहा है। उन्होंने दिव्यांगजनों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पैरा ओलंपिक में दिव्यांग खिलाड़ियों ने सामान्य खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन किया है।
कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुल सचिव, डॉ. सुशील एरिया मंडेरिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों में विशेष गुण होते हैं, जिनकी पहचान कर उन्हें विकसित करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी, और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समाज में उनकी भूमिका को लेकर सकारात्मक चर्चा का मंच प्रदान किया।
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