सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में क्षेत्रीय रूपक महोत्सव का उद्घाटन हुआ । उद्घाटन समारोह में अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक रमाकांत पांडेय,मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली, के पूर्व कुलपति राधावल्लभ त्रिपाठी, सारस्वत अतिथि के रूप में भारत अध्ययन केंद्रम, काशी हिंदु विश्वविद्यालय, वाराणसी के निदेशक सदाशिव कुमार द्विवेदी एवं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर भोपाल के सहनिदेशक नीलाभ तिवारी उपस्थित थे एवं इस कार्यक्रम के संरक्षक केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलगुरु श्रीनिवास वरखेड़ी हैं।


उद्घाटन सत्र में समस्त अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए प्रो नीलाभ तिवारी ने कहा कि भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है जिसकी झलक इस क्षेत्रीय रूपक महोत्सव में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में देखने को मिलेगी। क्षेत्रीय रूपक महोत्सव के संयोजक कृपा शंकर शर्मा ने क्षेत्रीय रूपक महोत्सव की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए बताया कि भारत के विभिन्न प्रांतों से आए दस नाट्य दलों की प्रस्तुतियां होने जा रही है उन्होंने बताया कि जयपुर, भीलवाड़ा , नागपुर , नासिक, दिल्ली, भोपाल आदि स्थानों के नाट्य दल भारतीय संस्कृति को प्रस्तुत करते हुए संस्कृत भाषा में नाटक प्रस्तुतियां देंगे।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि राधावल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि नाट्य मानव जीवन का अभिन्न अंग है । नाटक से चारों पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं।उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक रमाकांत पांडेय ने बताया कि संस्कृत का नाट्यशास्त्र एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें वर्णित नाट्य व संस्कृति का ज्ञान हर युग में प्रासंगिक है । केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत नाट्य को जनसामान्य हेतु सुलभ बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सम्पूर्ण भारत में क्षेत्रीय स्तर पर संस्कृत रुपक महोत्सव आयोजित हो रहे हैं जिनके विजेता अखिल भारतीय रूपक महोत्सव में प्रस्तुति देंगे, यह अखिल भारतीय रूपक महोत्सव भी भोपाल में ही रवीन्द्र भवन में आयोजित किया जाएगा।


उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन सनंदन कुमार त्रिपाठी ने किया तथा संचालन जितेन्द्र तिवारी का रहा।
रूपक महोत्सव के प्रथम दिन नाट्यशास्त्र अनुसंधान केन्द्र भोपाल परिसर द्वारा पूर्व रंग की प्रस्तुति दी गई। इसके पश्चात एकरसानंद आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, मैनपुरी उ.प्र द्वारा मंत्रदानम, जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर द्वारा मंजुला, लाड़ देवी शर्मा पंचोली आदर्श संस्कृत महाविद्यालय भीलवाड़ा ने दीपदानम, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नासिक परिसर द्वारा धारित्रीपतिनिवार्चन तथा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर द्वारा महिममयभारतम रूपकों का मंचन किया गया।


महोत्सव के प्रथम दिन आस्था एवं प्रदीप चोपड़ा ने अपने ध्रुपद गायन से सभी का मन मोह लिया। आज प्रस्तुत हुए नाटकों में समाज के विभिन्न पक्षों का सजीव चित्रण किया गया। मंत्रदानम नाटक में दिखाया गया कि एक दस्यु किस प्रकार सज्जन पुरुष का आचरण अपना लेता है। वहीं दूसरी ओर धारित्रीपतिनिवार्चन में कन्या के लिए सुयोग्य वर का चयन करने की,चिर काल से चली आ रही एवं वर्तमान समय में भी प्रासंगिक इस समस्या का मार्मिक प्रदर्शन अभिनय कलाकारों ने किया।
नाटक दीप दानम ने राजस्थान के गौरव को प्रदर्शित करते हुए पन्नाधाय के राज्य के प्रति समर्पण को मंच पर जीवंत कर दिया। वहीं मंजुला रूपक ने नारी के सम्मान व उत्थान की बात कही। महिममयभारतम में देश की नदियों के माहात्म्य का वर्णन किया गया।
संस्कृत के इन समस्त प्राचीन नाटकों में वर्तमान समय के प्रासंगिक मुद्दों पर बात की गई है । नारी जाति के सम्मान व उत्थान का विषय हो या एक दस्यु के सज्जन में बदलने का हृदय परिवर्तन या नदियों की महिमा का वर्णन – सभी नाटक आधुनिक समय में इन मुद्दों के प्रति सामान्य जन में चेतना का संचार करते हैं।

#केंद्रीय_संस्कृत_विश्वविद्यालय, #भोपाल, #रूपक_महोत्सव