सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: सीरिया में विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) और उसके सहयोगियों ने तीसरे शहर ‘दारा’ पर भी कब्जा कर लिया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक विद्रोही गुटों ने यहां मौजूद सेना के साथ समझौता कर लिया है।
2011 में दारा शहर से ही असद सरकार के खिलाफ क्रांति की शुरुआत हुई थी। रॉयटर्स के मुताबिक सेना ने खुद विद्रोहियों को दमिश्क तक जाने का सुरक्षित रास्ता दे दिया।
सीरिया में 27 नवंबर को सेना और विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने उत्तरी शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। इसके 4 दिन बाद विद्रोही गुटों ने एक और बड़े शहर हमा पर भी कब्जा कर लिया।
विद्रोहियों ने दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा करने के बाद राजधानी दमिश्क को दो दिशाओं से घेर लिया है। दारा और राजधानी दमिश्क के बीच सिर्फ 90 किमी की दूरी है।
इस बीच ईरान ने अपने लोगों को सीरिया से बाहर निकालना शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात सीरिया की यात्रा और वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
HTS विद्रोहियों के हमा और दारा पर कब्जे से जुड़ीं 5 फुटेज…
ईरान ने राष्ट्रपति असद का साथ छोड़ा न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान ने शुक्रवार से सीरिया से अपने सैन्य कमांडरों, रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े लोगों, राजनयिक कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकालना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि ईरान पहले की तरह असद सरकार का साथ देने में असमर्थ है।
अधिकारी ने बताया कि दमिश्क में रह रहे विशेष कर्मचारियों को विमानों से तेहरान लाया जा रहा है। जबकि बाकियों को जमीनी रास्ते से लताकिया बंदरगाह जा रहे हैं जहां से वे ईरान पहुंचेंगे।
ईरानी मामले के जानकारी मेहदी रहमती ने NYT से कहा कि ईरान ने अपनी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को निकालना शुरू किया है, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि सीरिया की सेना विद्रोहियों का मुकाबला नहीं कर पाएगी।
ईरानी संसद के सदस्य अहमद नादेरी ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सीरिया पतन के कगार पर है और हम शांति से यह सब देख रहे हैं। अगर दमिश्क गिर गया तो ईरान, इराक और लेबनान में अपना असर खो देगा। मुझे समझ नहीं आता कि हमारी सरकार इस पर चुप क्यों है। यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस सप्ताह दमिश्क की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने सीरिया की सुरक्षा करने का वचन दिया था। हालांकि, शुक्रवार को उन्होंने बगदाद में इससे अलग बयान दिया। उन्होंने कहा- हम भविष्य नहीं बता सकते। अल्लाह की जो भी इच्छा होगी वही होगा।
रूस से भी असद को नहीं मिल रही मदद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने असद को सैन्य और राजनीतिक समर्थन दिया था, लेकिन इस बार के संकट में रूस का असद को बचाने कोई इरादा नहीं है। दमिश्क में रूसी दूतावास ने अपने नागरिकों को देश छोड़ने की सलाह दी है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में क्रेमलिन के हवाले बताया गया है कि रूस के पास सीरिया संकट का हल नहीं है। सीरियाई राष्ट्रपति असद विद्रोह को दबाने के लिए कई सालों से रूस और ईरान पर निर्भर रहे हैं, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।
रूस और ईरान दोनों ही अपनी-अपनी समस्याओं में उलझे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि पहली बार असद अकेले पड़ चुके हैं। रूस ने अब राष्ट्रपति असद की परवाह करना छोड़ दिया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय बोला- सीरिया जाने से बचें विदेश मंत्रालय ने कहा- सीरिया की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। वहां रह रहे भारतीय लोगों से अपील की जाती है कि वे बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें।
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