संजय मल्होत्रा का भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर के रूप में चयन देश की आर्थिक नीतियों में एक नए युग की शुरुआत है। अपनी वित्तीय विशेषज्ञता और डेटा एनालिटिक्स में गहरी समझ के कारण मल्होत्रा को एक ऐसे समय में यह जिम्मेदारी मिली है, जब देश धीमी आर्थिक वृद्धि और लगातार बढ़ती महंगाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल में कई बड़े आर्थिक संकटों का सफलतापूर्वक सामना किया, जिनमें महामारी का प्रभाव, वैश्विक अनिश्चितताएं और महंगाई शामिल हैं। उन्होंने देश की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब संजय मल्होत्रा को अर्थव्यवस्था को सही संतुलन पर लाने का कठिन काम करना होगा।

भारतीय रुपया इस समय अपने सबसे निचले स्तर पर है, जो डॉलर के मुकाबले 84.85 तक गिर चुका है। यह गिरावट न केवल वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का नतीजा है, बल्कि घरेलू चुनौतियों जैसे बढ़ते व्यापार घाटे और पूंजी प्रवाह में गिरावट को भी उजागर करती है। रुपया स्थिर रखना मल्होत्रा की प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इसका असर न केवल महंगाई बल्कि आयात पर निर्भर क्षेत्रों पर भी पड़ेगा।

साथ ही, देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी हो रही है। इस स्थिति में आरबीआई को ऐसी नीतियां अपनानी होंगी, जो महंगाई पर काबू पाने के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन दें। इस संतुलन को साधना आसान नहीं होगा, लेकिन यह भारत की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।

संजय मल्होत्रा के पास आरबीआई की मौद्रिक नीतियों को आधुनिक और प्रासंगिक बनाने का मौका है। वे डेटा आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देकर आरबीआई को एक नया दृष्टिकोण दे सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सुधार की जरूरत है, जो अभी भी डूबते कर्ज (एनपीए) और सीमित कर्ज प्रवाह जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। इन क्षेत्रों को मजबूत करना और पारदर्शिता लाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए।

भारत जब $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो आरबीआई की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। संजय मल्होत्रा की नेतृत्व क्षमता न केवल उनकी नीतियों की सटीकता पर निर्भर करेगी, बल्कि उनकी क्षमता पर भी कि वे सरकार, वित्तीय संस्थानों और बाजार के बीच सामंजस्य कैसे बनाए रखते हैं।

संजय मल्होत्रा की नियुक्ति एक चुनौतीपूर्ण लेकिन संभावनाओं से भरा कदम है। अगर वे सही दिशा में निर्णय लेते हैं, तो वे भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सक्षम होंगे। देश उनकी ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है।

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