ITDC,India/रिपोर्ट: Anurag Pandey : रूस-युक्रेन युद्ध के लगातार जारी रहने के बाद मार्च 2022 में खुदरा महंगाई दर तेजी से बढ़ी है और 7 फीसदी पर पहुंच गई है। कोरोना लॉकडाउन के बाद महंगाई बढ़ी है खासकर खाने-पीने की चीजें महंगी होने के कारण सीपीआई इंफ्लेशन यानी खुदरा महंगाई दर तेजी से बढ़ी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को अचानक प्रेस कांफ्रेंस की जहाँ RBI गवर्नर दास ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इकोनॉमी के हालात पर चर्चा करने के लिए बैठक की थी। इस बैठक में MPC के सदस्यों ने एकमत से रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया है।
अब रेपो रेट एक झटके में 0.40 फीसदी बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया है। इसके साथ ही सस्ते लोन का दौर अब समाप्त हो गया है। रिजर्व बैंक के इस ऐलान से लोगों के ऊपर ईएमआई (EMI) का बोझ बढ़ना तय हो गया है। चालू वित्त वर्ष में महंगाई का प्रेशर बने रहने की आशंका है। RBI के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर 5.7 फीसदी पर रहने का अनुमान है। RBI गवर्नर शशिकांत दास ने पिछले महीने बताया था कि महंगाई की दर पहली तिमाही में 6.3% फीसदी व दूसरी तिमाही में 5% फीसदी एवं तीसरी तिमाही में 5.4% और चौथी तिमाही में 5.1% फीसदी रह सकती है।
रूस और यूक्रेन युद्ध का पड़ रहा खासा प्रभाव
RBI द्वारा रेपो रेट 0.40 फीसदी बढ़ने का फैसला रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी जंग के कारण बढ़े हुए गेहूं समेत कई अनाजों के दाम प्रमुख कारण है। रूस-युक्रेन की इस जंग से ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी बुरा असर पड़ा है। RBI गवर्नर इस जियोपॉलिटिकल टेंशन की भी बात कर रहे थे।
रेपो रेट क्या है और यह कितना बढ़ाया गया है?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे। जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।
बढ़ी हुई रेपो रेट की दरें समान्यजन व बैंको पर डाल रही है अच्छा खासा असर।
REPO रेट वह रेट होता है, जिस पर बैंकों को सेंट्रल बैंक लोन देता है। RBI ने फरवरी 2019 से रेपो रेट में 250 आधार अंकों की कटौती की है, ताकि विकास की गति को बढ़ाने में मदद मिल सके। ऐसे में अचानक की गई इस बढ़ोतरी के बाद से अब तक कई बैंकों ने अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। कई बैकों ने एफडी (Fixed Deposit) पर दिए जाने वाले ब्याज दर (Interest Rate) में भी बढ़ोतरी की है।
कई बैंको ने RBI द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के बाद ब्याज दरों मे इजाफा कर दिया है
सार्वजानिक क्षेत्र के जैसे बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) ने भी ब्याज दर में बदलाव किया है। बैंक की तरफ से कहा गया कि खुदरा ऋण के लिए लागू बीआरएलएलआर (BRLLR) 5 मई, 2022 से 6.90 प्रतिशत कर दी गई है। इसमें आरबीआई की 4.40 प्रतिशत रेपो दर और 2.50 प्रतिशत ‘मार्कअप’ शामिल है। ‘बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) ने भी रेपो रेट में बदलाव के साथ आरबीएलआर (RBLR) को 5 मई, 2022 से बढ़ाकर 7.25 प्रतिशत कर दिया है। सेंट्रल बैंक ने भी आरबीएलआर (RBLR) में 0.40 प्रतिशत का इजाफा करके 7.25 प्रतिशत कर दिया है।
चालू वित्त वर्ष में महंगाई का प्रेशर बने रहने की आशंका है। RBI के REPO रेट बढ़ाने के बाद फिलहाल आम जनता के उपर और बोझ बढ़ना तय है। अब देखना ये होगा की आम जनता को बढ़ती महगाई से आखिर का राहत मिलती है।