सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की शर्मनाक इंजीनियरिंग का एक नमूना सोमवार को बिट्टन मार्केट से सात नंबर को जाने वाली सड़क पर ​देखने को मिला। यहां पर रविशंकर नगर मार्केट चौराहे के पास सड़क पर एक से डेढ़ फीट लंबे और गहरे गड्ढे थे।

इन गड्ढों में बारिश का पानी भरा हुआ था। दोपहर में पीडब्ल्यूडी का अमला यहां पहुंचा और उन्होंने पहले गड्ढों में ​जीरा गिट्टी और डस्ट डाली और उसके ऊपर डामर मिक्स मेटेरियल डालकर इन गड्ढों को भर दिया। अब यह पैचवर्क ​कितने दिन चलेगा यह तो वक्त ही बताएगा।

जहां गड्ढे भरे, वहां अभी भी पानी जमा

यहां सड़क का ढलान एक ओर होने के कारण पानी सड़​क किनारे और इस हिस्से पर जमा होता है। सड़क के गड्ढे भरे जाने बाद भी यहां पानी भरा हुआ नजर आया। ऐसे में सवाल यह है कि जब पानी वहां लगातार भरा हुआ है तो फिर डामर और गिट्टी पकड़ कैसे आएगी? ऐसे में जो पैचवर्क किया गया है उसमें मजबूती तो आई नहीं सकती। ऐसे में तो यह पैचवर्क दो दिन चलेगा या दो महीने यह कह पाना भी ​मुश्किल है।

पैचवर्क के नाम पर खानापूर्ति

जिस तरह से यहां पैचवर्क किया गया उसे देखकर आसपास के लोगाों का तो यही कहना था कि यह पैचवर्क के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है। अगर अमला थोड़ी मेहनत करता और गड्ढों में भरे पानी को निकालकर जमीन को थोड़ा सूखने देता और उसके बाद वहां पैचवर्क किया जाता तो यह निश्चित ही बारिश के बाकी बचे एक-डेढ़ महीने तक चल सकता था।

पूरी तरह से खाली करके पैचवर्क हो

सामान्यत: किसी स्पॉट को पूरी तरह से खाली करके उसके बाद भी पैचवर्क किया जाना चाहिए। अगर मौसम बारिश का है तो ऐसे में स्पॉट से पानी निकालकर जमीन सूखने के बाद उस पर इमल्शन डालने के बाद पैचवर्क किया जाना चाहिए। तब कहीं जाकर पकड़ आएगी।

वीके अमर, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी

बारिश में सड़क के गड्ढों को अस्थाई रूप से भरने के ​लिए जीरा गिट्टी और कोल्ड इमल्शन का इस्तेमाल करते हैं। इसका मिक्सर पानी वाली सतह पर सीधे डाला जाता है। यह अस्थाई व्यवस्था होती है। इससे न सिर्फ वाहन चालकों को गड्ढों से राहत मिलती है, साथ ही सड़क ज्यादा टूटने से बच जाती है।