सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और सहयोगी संस्थाओं द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय शोध और नवाचार सम्मेलन ‘शोध शिखर 2025’ का भव्य शुभारंभ हुआ। इस वर्ष का सम्मेलन ‘विकसित भारत-नया भारत’ विषय पर आधारित था। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में निदेशक नम्रता पाठक, वैज्ञानिक-जी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, अरविंद रानाडे, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, और अमिताभ मिश्रा, डीजेएम और हेड (बायो-फार्मा), राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम, उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने की।
समारोह की शुरुआत निदेशक रचना चतुर्वेदी द्वारा कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करने के साथ हुई, जिसमें उन्होंने बताया कि ‘शोध शिखर’ सम्मेलन युवाओं को शोध और नवाचार के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत और अन्य राष्ट्रीय विकास योजनाओं से जोड़ने की एक अनोखी पहल है। सम्मेलन के दौरान विभिन्न छात्रों और शोधार्थियों ने अपनी शोध परियोजनाएं प्रस्तुत कीं और वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम में निदेशक अमिताभ मिश्रा ने नवाचार के महत्व पर जोर दिया और बताया कि हिक्स कंपनी द्वारा विकसित थर्मामीटर को समाज की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि नवाचारों के माध्यम से हम न केवल तकनीकी क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं, बल्कि समाज के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं।
निदेशक अरविंद रानाडे ने ‘विजन 2047’ के संदर्भ में सरकार की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्रों में देश को सशक्त बनाएगा।
निदेशक नम्रता पाठक ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की भूमिका पर चर्चा करते हुए बताया कि विभाग युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित कर रहा है और उन्हें शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में अवसर प्रदान कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के कार्यक्रम युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करते हैं, जो भविष्य में देश के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
मुख्य अतिथि निदेशक अतुल कोठारी ने मातृभाषा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि शोधकर्ताओं को अपनी मातृभाषा में विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे वे अपने विचारों को अधिक स्पष्ट और सटीक रूप से व्यक्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम के समापन पर रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने विश्वविद्यालय के शैक्षिक और अनुसंधान क्षेत्र में योगदान की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय की शिक्षा और नवाचार की दिशा को सकारात्मक रूप से रेखांकित किया और बताया कि विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों जैसे अटल इंक्यूबेशन सेंटर और प्रधानमंत्री कौशल केंद्र, युवाओं को रोजगार और उद्यमिता के अवसर प्रदान कर रहे हैं।
सम्मेलन के अंत में पत्रिका ‘इलोक्ट्रानिकी’ और पुस्तक ‘बिग कंट्री, लिटिल बिजनेस’ का विमोचन भी किया गया। यह सम्मेलन मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, जो यह सिद्ध करता है कि राज्य में नवाचार और शिक्षा के स्तर में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।
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