सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारतीय क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने हाल ही में हिंदी को लेकर एक टिप्पणी की, जिसने सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है। अश्विन ने कहा था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा समझा जाना चाहिए या नहीं, इस पर स्पष्टता होनी चाहिए। उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

अश्विन के इस कमेंट ने भारतीय भाषाओं और उनकी पहचान के मुद्दे को लेकर पुरानी बहस को फिर से जगा दिया है। कई लोग उनकी बात से सहमत हैं कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए, जबकि कुछ का मानना है कि भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना उचित नहीं है।

सोशल मीडिया पर भी इस विषय को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कुछ लोगों ने अश्विन की टिप्पणी को गैर-जरूरी बताया, वहीं अन्य ने इसे भाषाई एकता के समर्थन में एक सही कदम माना।

अश्विन ने बाद में स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी भी भाषा को नीचा दिखाना नहीं था, बल्कि वे भाषाई पहचान के महत्व पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे।

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